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23/11/2024 1:33 am

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सचिन पायलट पर दिए अशोक गहलोत के बयान ही कांग्रेस के लिए मुसीबत बनेंगे। भाजपा के हमलों का जवाब अकेले अशोक गहलोत ही दे रहे हैं।

8 जुलाई को राजस्थान के बीकानेर में हुई जनसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को जमकर कोसा। स्कूली शिक्षा मंत्री और सीएम गहलोत के भरोसे मंद मंत्री बीडी कल्ला द्वारा सरकारी आवास खाली कर दिए जाने पर पीएम मोदी ने कहा कि अब मंत्रियों को भी पता है कि कांग्रेस की सरकार जाने वाली है। पीएम ने गहलोत सरकार को निकम्मा और भ्रष्टाचारी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। चूंकि राजस्थान में चार माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं, इसलिए भाजपा के राष्ट्रीय नेता लगातार दौरे कर रहे हैं। पीएम मोदी के दौरे से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के लगातार दौरे हुए हैं। सभी नेताओं ने मुख्यमंत्री गहलोत और कांग्रेस सरकार की जमकर आलोचना की है। एक ओर भाजपा लगातार हमलावर बनी हुई है, तो दूसरी ओर सीएम अशोक गहलोत ही अकेले हमलों का जवाब दे रहे हैं। भाजपा के नेता सार्वजनिक सभाएं कर सरकार को घेर रहे हैं। वहीं सीएम गहलोत सोशल मीडिया पर हमलों का जवाब देते हैं। यह सही है कि मौजूदा समय में गहलोत अकेले ही भाजपा से मुकाबला करने में लगे हुए हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता तो अभी गहलोत और पायलट में समझौता कराने में ही जुटे हैं। दिल्ली में बैठक कर यह दिखाने का प्रयास हो रहा है कि राजस्थान में गहलोत और पायलट मिलकर चुनाव लड़े। लेकिन जयपुर में दोनों नेताओं के बीच अभी तक वन टू वन बैठक नहीं हुई है। जानकारों का मानना है कि जब तक गहलोत और पायलट के बीच वन टू वन बैठक नहीं होगी, तब तक दोनों के बीच समझौता नहीं हो सकता है। पिछले दिनों पायलट ने गहलोत के खिलाफ जनसंघर्ष यात्रा तक निकाली है। वहीं गहलोत ने पायलट को लेकर जो बयान दिए हैं, वे बयान कांग्रेस के लिए मुसीबत बने हैं। गहलोत ने कहा है कि जुलाई 2020 में पायलट के साथ जो 18 विधायक दिल्ली में थे, उन्होंने भाजपा से दस-बीस करोड़ रुपए लिए हैं। सवाल उठता है कि जब कांग्रेस के विधायक बीस बीस करोड़ रुपए ले रहे हैं, तब प्रदेश में सरकार कैसे रिपीट होगी। गहलोत ने पायलट पर जो हमले किए उनका स्पष्टीकरण होना भी जरूरी है। पायलट ने जो मुद्दे उठाए उन पर सीएम गहलोत क्या निर्णय लेते हैं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के मुकाबले कांग्रेस पीछे नजर आ रही है। हालांकि बदली हुई परिस्थितियों में पायलट ने संकेत दिए हैं कि वे गहलोत के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के दोनों ही बड़े नेताओं में एक बार खींचतान उस समय होगी, जब टिकटों का बंटवारा होगा। दोनों ही नेता अपने अपने समर्थकों को टिकट दिलाना चाहेंगे। गहलोत अपने समर्थक विधायकों की मदद से ही मुख्यमंत्री बने रहे, जबकि सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों की वजह से राजनीति में टिके रहे। यदि इन दोनों ही नेताओं के समर्थक विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तो परिणाम विपरीत देखने को मिलते।

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Author: cnindia

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