शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत अगर निजी स्कूल गरीब परिवार के बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश नहीं देंगे तो उन्हें माध्यमिक स्तर की मान्यता नहीं मिल सकेगी। कक्षा आठ तक के इन निजी स्कूलों को केंद्रीय बोर्डों सीबीएसई व सीआइएससीई से कक्षा नौ से 12 तक की मान्यता तभी दी जाती है, जब बेसिक शिक्षा विभाग उन्हें एनओसी देता है। ऐसे में एनओसी न मिलने के कारण यह इन बोडों से माध्यमिक स्तर की मान्यता नहीं ले सकेंगे। वहीं, दूसरी ओर ऐसे निजी स्कूल भी चिह्नित किए जा रहे हैं जिन्होंने पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार कम बच्चों को दाखिला दिया है। ऐसे स्कूलों को नोटिस जारी की जा रही है। प्रदेश में शैक्षिक सत्र 2023- 24 में 44 हजार निजी स्कूलों में 4.10 लाख सीटों पर तीन चरण की लाटरी प्रक्रिया में 2.78 लाख बच्चों ने आवेदन किया और जांच के बाद 1.30 लाख बच्चों को सीटें आवंटित की गई हैं। अभी प्रवेश की प्रक्रिया जारी है। पिछले वर्ष 82 हजार दाखिले हुए थे। अबकी यह संख्या बढ़ाने पर जोर है। ऐसे में बेसिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव की ओर से सभी निजी स्कूलों को सख्त चेतावनी दी गई है कि वह आरटीई के तहत गरीब परिवार के बच्चों को निश्शुल्क दाखिला दें। ऐसा नहीं करेंगे तो उनकी कक्षा आठ तक की मान्यता भी वापस ली जाएगी। अभिभावकों को भी सतर्क किया गया है कि बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा चयनित विद्यार्थियों की सूची में अगर उनके बच्चे का नाम है तो उसे दाखिला देना ही होगा।