मंडूकासन दो शब्द से मिलकर बना है। मंडूक जिसका अर्थ होता है मेंढक एवं आसन का मतलब होता है योगाभ्यास। इस आसन के करते समय शरीर मेंढक के जैसा प्रतीत होता है इसलिय इसको मंडूकासन के नाम से पुकारा जाता है। यह Frog Pose के नाम से भी जाना जाता है। यह आसन उदर से संबंधित विभिन्य रोगों के समाधान के लिए अहम भूमिका निभाता है।
संलग्न चित्रानुसार
मंडूकासन के लाभ
1 आपको अपना तोंद कम करना हो तो मंडूकासन करनी चाहिए। यह पेट में अच्छा खास दबाब डालता है और इस आसन को ज़्यदा समय तक बनाये रखने से पेट की चर्बी गलने में मदद मिलती है।
2 मंडूकासन का सही अभ्यास करने से पैंक्रियास से इन्सुलिन का स्राव में मदद मिलती है जिससे डायबिटीज या मधुमेह को बहुत हद तक रोक जा सकता है।
3 मंडूकासन से एंजाइम एवं हॉर्मोन का ठीक तरह से स्राव होने लगता है जो भोजन को पचाने में मदद करता जिससे कब्ज एवं अपच से छुटकारा मिलता है
मंडूकासन पेट से संबंधित रोगों के लिए यह अति उत्तम योगाभयास है।
4 मंडूकासन से पेट से टॉक्सिन्स एवं जहरीली गैसें को आसानी से निकाल सकते हैं।
मंडूकासन योग विधि
सबसे पहले आप स्वच्छ आसन बिछाकर वज्रासन में बैठ जाएं।
अब आप मुठ्ठी बांधएं और इसे आपने नाभि के पास लेकर आएं।
मुट्ठी को नाभि एवं जांघ के पास ऐसे रखें कि मुट्ठी खड़ी हो और ऊँगलियाँ आपके उदर के तरफ हो।
सांस छोड़ते हुए आगे झुकें, छाती को इस प्रकार नीचे लाएं कि वह जांघों पर टिकी रहे।
आप इस तरह से आगे झुकें कि नाभि पर ज़्यदा से ज़्यदा दबाब आए।
सिर और गर्दन उठाए रखें, दृष्टि सामने रखें।
धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े और यथासंभव इस स्थिति को बनाये रखें।
फिर सांस लेते हुए अपनी सामान्य अवस्था में आएं और आराम करें।
यह एक चक्र हुआ।
आप शुरुवाती दौड़ में इसे 3-5 बार कर सकते हैं।
मंडूकासन योग में सावधानिया
पीठ दर्द में इस आसन को करने से बचे ।
पेट में अगर कोई विकार या ऑपरेशन हुआ हो तो इस आसन को न करें।
हाईपेरिसिडिटी वालों को यह आसन नहीं करनी चाहिए।
नाभि की समस्या होने पर भी इस को न करें