जुलाई 2020 में जब सचिन पायलट को बर्खास्त कर गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया, तब डोटासरा पूरी तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निर्भर थे, लेकिन इन तीन वर्षों में कांग्रेस के हालात बहुत बदल गए हैं और डोटासरा को भी दिल्ली की हवा लग गई है। जानकार सूत्रों के अनुसार राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद से हटाने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहमत नहीं थे, लेकिन डोटासरा ने प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ मिलकर दिल्ली से ऐसा दबाव बनाया कि गहलोत को गुढ़ा की बर्खास्तगी करवानी ही पड़ी। गुढ़ा को 21 जुलाई को विधानसभा में मणिपुर के मुद्दे पर प्रतिकूल बयान देने के आरोप में हटाया गया, जबकि गुढ़ा तो पहले भी सरकार और सीएम गहलोत के विरुद्ध बोल चुके हैं। गुढ़ा ने पिछले दिनों कहा था कि यदि अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री रहते हैं तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 11 सीटें भी नहीं मिलेंगी। कांग्रेस के विधायक एक फाच्र्यूनर गाड़ी में बैठ जाएंगे। यह बयान सीधा सीएम गहलोत पर हमला था। गुढ़ा को बर्खास्त करने के लिए यह बयान पर्याप्त था, लेकिन तब भी गहलोत ने गुढ़ा को नहीं हटाया। 21 जुलाई वाला बयान तो राजनीतिक बयान था। जब फाच्र्यूनर कार वाले पर ही गुढ़ा को नहीं हटाया तो अब इस राजनीतिक बयान पर क्यों हटाया? असल में गहलोत को पता था कि राजेंद्र गुढ़ा को छेड़ते ही आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ पर इनकम टैक्स और ईडी के छापे वाला मामला उछलेगा। गहलोत की जो आशंका थी, वह सही साबित हुई। अब भाजपा लाल डायरी को मुद्दा बना रही है। मालूम हो कि गुढ़ा ही बसपा के विधायकों को कांग्रेस में लाए थे और पिछले पांच वर्षों में गहलोत के कहने से ही राज्यसभा चुनाव में दो बार कांग्रेस उम्मीदवारों को वोट दिया। खुद मुख्यमंत्री ने भी सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया कि राजेंद्र गुढ़ा की वजह से ही वे आज मुख्यमंत्री हैं। हालांकि हाईकमान के दबाव में सीएम गहलोत ने गुढ़ा को बर्खास्त तो कर दिया, लेकिन अभी तक गुढ़ा के खिलाफ सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है। गहलोत लाल डायरी के मुद्दे पर भाजपा को ही कोस रहे हैं। सूत्रों के अनुसार गुढ़ा की बर्खास्तगी के पीछे शेखावाटी क्षेत्र की जाट, राजपूत राजनीति भी रही है। डोटासरा ने गुढ़ा की बर्खास्तगी करवाकर शेखावाटी में एक तीर से कई निशाने लगाए हैं। डोटासरा और गुढ़ा दोनों ही शेखावाटी के हैं। डोटासरा को प्रदेश प्रभारी रंधावा के जाट सिख होने का भी लाभ मिला। बदली हुई परिस्थितियों में डोटासरा, सीएम गहलोत के सामने सीना तान कर खड़े हैं, यह बात राखी गौतम की प्रदेश महिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति से भी प्रतीत होती है। मंत्रिमंडल में गहलोत के बाद दूसरे नंबर पर माने जाने वाले संसदीय और नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने राखी गौतम को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध किया था। राखी और धारीवाल दोनों ही कोटा के हैं और राखी गौतम कोटा में धारीवाल के सामने सीना ठोक खड़ी हैं। सूत्रों की माने तो सीएम गहलोत ने भी धारीवाल की राय को तवज्जो देने का इशारा किया था, लेकिन डोटासरा ने सीएम के इशारे को अनदेखा कर दिया। राखी गौतम को महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से धारीवाल बेहद खफा है। इससे पहले भी डोटासरा और धारीवाल आमने सामने होते रहे हैं। डोटासरा का आरोप रहा कि कोटा में धारीवाल की भाजपा नेताओं से सांठगांठ है, इसलिए भाजपा विचारधारा वाले सरकारी कार्मिकों के तबादले हो जाते हैं और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की सुनवाई ही नहीं होती। अब जब विधानसभा चुनाव में चार माह शेष रह गए हैं, तब देखना होगा कि डोटासरा का तना सीना सीएम गहलोत को इतना असहज करता है। यह तब है जब सचिन पायलट वाला विवाद सुलझा नहीं है।