आज सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर मामले पर सुनवाई के दौरान बांसुरी बीच में कूदीं और जजों का ध्यान भटकाने के लिए राजस्थान और पश्चिम बंगाल में हुई रेप की घटनाओं को मणिपुर से जोड़ने लगीं।ठीक वैसे ही, जैसे नोएडा चैनलों के एंकर या मीडिया घराने के डिजिटल प्लैटफॉर्म दलाली खाकर बीजेपी प्रवक्ता के रूप में काम में दिन-रात लगे हैं।अब आप सोचें कि इस छोटी सी उम्र में वकालत की पढ़ाई करने के बाद भी महिलाओं के साथ शारीरिक हिंसा को लेकर बांसुरी स्वराज की संवेदनाएं कितनी मानवीय हैं?यह भी बड़ा सवाल है कि बांसुरी जैसी लाखों लड़कियां हैं, जो उच्च शिक्षा लेने के बावजूद संवेदनाहीन और जमीर खो चुकी हैं।इन बच्चों को ऐसी किसी घटना से कोई फ़र्क नहीं पड़ता, जब तक यह उनके आसपास न घटे।डिग्री के रूप में कागज के चंद पुर्जे, पैसा, गाड़ी, लाखों की नौकरी अगर किसी व्यक्ति को इंसान न बना सकें तो उस शिक्षा का मेरे लिए कोई मतलब नहीं।जीवन की कड़वी वास्तविकताओं की शिक्षा जैसे भूख दे जाती है, वैसे ही अस्मिता, गरिमा और इस समाज, सिस्टम की तमाम विसंगतियां एक स्त्री के साथ हुई क्रूर हिंसा से दिख जाती है।माफ कीजिए- मैं इसीलिए किसी मेरिट या आईएएस बनने वाले को बधाई नहीं देता। मैं अपने परिवार, मित्रो और सहयोगियों में उसी इंसानियत को पहले तलाशता हूं, जो शिक्षा और परवरिश से मिली हो।