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अधिक मास भारत के अद्भुत प्राचीन ज्ञान का प्रतीक है. जब पश्चिम ने विज्ञान का ककहरा भी नही सीखा था जब विज्ञान यह भी नही जानता था कि अंतरिक्ष में कितने ग्रह है तब हमारे मनीषियों ने सूर्य चन्द्र की चाल की गणना कर उन्हें संतुलित करने हेतु अधिक मास की रचना की.

सौर वर्ष में कुल 365 दिन और 6 घण्टे होते है चन्द्र वर्ष में लगभग 354 दिन लगभग होते है. प्रत्येक वर्ष तकरीबन 33 दिनों का अंतर आता है इसे दूर करने के लिए प्रत्येक 32 माह 16 दिवस 8 घटी पश्चात अधिक मास का सिद्धांत बनाया गया.अधिक मास का सिद्धांत इतना सटीक है कि इसमें ग्रेगेरियन कलेंडर की तरह 29 फरवरी में जन्में व्यक्ति को 4 वर्ष अपने जन्मदिन की प्रतीक्षा नही करनी पड़ती है और ना ही हिजरी कलेंडर की तरह त्यौहार पीछे खिसक खिसककर ऋतुएं ही बदल जाती है.अधिक मास वही कुंजी है जो सौर वर्ष व चन्द्र वर्ष के मध्य अंतर को पाटती है. एक ऐसी कुंजी जिसे पश्चिमी विज्ञान भी नही पकड़ पाया. दूसरों को विज्ञान और ग्रहों की जानकारी देने का दावा करने वाला पश्चिम 18 वी सदी तक सूर्य और चन्द्र की चालों के अंतर की सटीक गणना तक नही कर पाया.अधिक मास का यह लाभ भी है कि इसमें हमारे उत्सव ऋतुएं नही बदलते अर्थात दीपावली सदैव कार्तिक माह में ही आएगी.पौराणिक महत्व में इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते है और इसके ईश्वर भगवान विष्णु है. चूंकि इसमें संक्रांति नही आती इसलिए यह माह मलिन हो जाता है जिससे इसे मल मास भी कहते है.ये है अधिक मास का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व. हमारे प्रत्येक पर्व और धार्मिक मान्यताएं 100% वैज्ञानिक है. हमें गर्व होना चाहिए हमारे धर्म पर संस्कृति पर हमारे पूर्वजों और मनीषियों पर.

 

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Author: cnindia

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