बाराबंकी। परवरदिगार ने बहुत सी ऐसी मखलूक पैदा की है जहां तक अभी हमारी रसाई नहीं है ,और परवर दिगार उन्हें भी रिज्क अता करता है।परवरदिगार ने इंसान को अक्ले सलीम अता की जिससे वह सारी मखलूकात में अशरफ हुआ।जो अक्ले सलीम का सही इस्तेमाल करता है वह फरिश्तों से अफजल हो जाता है ।जो सही नहीं इस्तेमाल करता वह हैवानों से बदतर हो जाता है ।यह बात नगर से लगभग पांच किमी.दूर मौथरी स्थित रिजवान साहब के अजाखाने में मजलिसे चेहल्लुम को खिताब करते हुए आली जनाब मौलाना जैगम गरवी ने कही ।मौलाना ने आगे यह भी कहा कि बगैर इल्म के अक्ले सलीम का सही इस्तेमाल मुमकिन नहीं ।जाहिलियत से बचो , इल्म से दोस्ती करो , जाहिलियत आपकी सबसे बड़ीदुश्मन है । दुनियां के इख्तिलाफ से बचना चाहते हो तो किताबों से दोस्ती करो,अमल और अकीदा दोनों मजबूत करो ।आखिर में करबला वालों के मसायब पेश किए जिसे सुनकर सभी रोने लगे।मजलिस से पहले डा रजा मौरानवी, जफर नसीराबादी ,अजमल किन्तूरी ,हाजी सरवर अली करबलाई , अनवार , जाकिर इमाम , अमान अब्बास , अयान अब्बास , जामिन , रजा मेहदी और अली सल्लमहू ने भी नजरानये अकीदत पेश किया ।मजलिस का आगाज तिलावते कलामे इलाही से अयान अब्बास काजमी ने किया ।अन्जुमन जैनुल एबा कदीम रायबरेली, अन्जुमन मेराजुल इस्लाम लखनऊ और अन्जुमन गुलामे अस्करी बाराबंकी ने नौहाख्वानी व सीनाजनी की ।वही इमाम बाड़ा वक्फ हाशमी बेगम में मजलिस को खिताब फरमाते हुए आली जनाब मौलाना हैदर अब्बास साहब ने कहा हुसैन अ. जमीन और आसमान की जीनत हैं ।अजमते हुसैन को जमीन से ज्यादा आसमान वाले जानते हैं।करबला वालों के मसायब सुनकर सभी रोने लगे ।डा मुहिब रिजवी व अनवार ने नजरानये अकीदत पेश किया।बानियाने मजलिस ने सभी का शुकरिया अदा किया।