निंदूरा, बाराबंकी। सरकारी विकास कार्य भले ही विकास का दावा कर रहे हों ल लेकिन इसकी आड़ मेें जाराी भ्रष्टाचार में तो कहीं कार्य में लेटलतीफी से विकास कार्य ग्रामीणों के गले का कांटा साबित हो रहे हैं। बताते चलें कि गांव को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए जल जीवन मिशन के तहत पंचायतों में खड़ंजे, इंटर लॉकिंग व सड़कों को खोदकर उनमें पाइप डालने का काम चल रहा है। आगासंड़, खरिहानी व पलिया पंचायत में पाइप लाइन डाले एक वर्ष से अधिक हो गया है।यह पर पाइप लाइन डालने के लिए इंटर लॉकिंग व सड़के खोदी गई थी। लेकिन अभी तक न तो खोदी गई इंटर लाकिंग ही बिछाई गई है और न ही सड़कों की मरम्मत कराई गई है। बारिश के चलते स्थानीय लोग परेशान हैं। कई दुपहिया वाहन गड्ढों में गिरे और सवार घायल हो गए हैं तो कई मवेशियों की मौत भी हो चुकी है। ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।पहली तस्वीर ग्राम पंचायत पलिया में करीब एक वर्ष पहले पाइप लाइन बिछाने के लिए इंटर लॉकिंग खोदी गई थी। गांव का प्रमुख मार्ग होने के बाद भी अभी तक इंटर लाकिंग सही नहीं कराई गई है। इस रास्ते पर पैदल चलना भी खतरे से कम नहीं है। जबकि बाइक सवार अक्सर गिर कर घायल हो रहे हैं। ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी जिम्मेदार विभागीय अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। दुसरी तस्वीर – क्षेत्र के अगासंड में जल निगम द्वारा पानी सप्लाई के लिए पाइप लाइन बिछाई गई है।जल निगम द्वारा पाइप लाइन डालने के लिए गांव में लगी इंटर लाकिंग व आरसीसी सड़क को खोदा गया।करीब छह माह से अधिक समय होने को है लेकिन विभाग द्वारा खोदी गई इंटर लाकिंग व आरसीसी सड़क को सही नहीं कराया गया है।जिसका नतीजा यह है कि जरा सी बारिश में रास्ते कीचड़ फैल जाता है।जिसपर पैदल निकलना मुश्किल हो जाता है। तीसरी तस्वीर -कोडरी गोपालपुर ग्राम पंचायत में जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीणों को शुद्ध पेय जल के लिए पानी की टंकी का निर्माण कार्य चल रहा है।घर- घर पानी पहुंचने के लिए ग्राम पंचायत में पाइप लाइन बिछाई गई है। ठेकेदार द्वारा पाइपलाइन बिछाने के लिए खोदे गए गड्ढे में पाइप डालने के बाद बंद नही किया गया है। बुधवार को गांव के निवासी रामचन्द्र वर्मा की एक भैंस इस गड्ढे में गिर गई।जानकारी पर पहुंचे परिजन ने भैंस को निकालने का प्रयास किया लेकिन जबतक भैंस बाहर निकलती उसकी मौत हो गई। इस संबंध में खंड विकास अधिकारी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि कार्यकारी संस्था के द्वारा पाइपलाइन डालने के बाद खड़ंजे, इंटरलॉकिंग को पंद्रह दिनों के अंदर ही पहले जैसी स्थिति में बनाकर देना है। तब जांच उपरांत ग्राम प्रधान उन्हें एनओसी देगा। अगर एनओसी देने के बाद कहीं पर इंटरलॉकिंग की मरम्मत का कार्य सही नहीं मिलता है तो ग्राम प्रधान के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। जिन स्थानों पर पाइपलाइन पड़ चुकी है और मरम्मत कार्य को समय ज्यादा हो रहा है वहां के ग्राम प्रधान को कार्यकारी संस्था को नोटिस देकर मरम्मत करवाने के लिए बोला गया है।