बाराबंकी- जहां एक तरफ भारत में तीन तलाक कानून 19 सितंबर 2018 से लागू हुआ, इस कानून के तहत तीन तलाक बोलना गैरकानूनी कर दिया गया। कोई भी मुस्लिम शख्स अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक नहीं दे सकता है। पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। तीन तलाक कानून के तहत, तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकता है।
जानकारी अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को, तत्काल तीन तलाक या कहे, तलाक ए विद्दत, को असंवैधानिक घोषित किया था। तब से इसे 1 अगस्त 2019 को, तीन तलाक को अवैध बना दिया गया। जिसे फरवरी 2019 मे लागू किया गया। जिसने तीन तलाक अध्यादेश की जगह ले ली। अब इतने नियम कायदे कानून के बाद भी पुलिस प्रशासन की मामलों के प्रति हीलाहवाली व लचर प्रशासनिक व्यवस्था में तमाम लोगों को जैसे अन्य अपराधों को करने में अब डर लगता नहीं दिख रहा वैसे ही तीन बार तलाक के मामले में आ रहे बढ़े हुए मामलों को लेकर प्रतीत हो रहा है कि लोगों में कानून व्यवस्था का डर नहीं रह गया है। जैसा एक बार फिर शहर के मोहल्ला पीरबटावन में सामने आया है। जिसमें निवासी नाजरीन बानो ने अपने पति मोहम्मद इरशाद पर लगाया तीन तलाक देने का आरोप लगाते हुए बताया कि उसके तीन चार बच्चे हैं और पति इरशाद न सिर्फ उसे मारता पीटता है बल्कि हद तो उस समय हो गई जब उसने तीन बार तालाक बोल कर तमाम नियम कायदे कानून को दरकिनार करते हुए तालाक दे दिया। जिसको लेकर पीड़िता ने भाजपा नेता राजा कासिम से अपनी पीड़ा बतायी। जिनके परामर्श पर शनिवार अपराहन एसपी कार्यालय पहुंचकर प्रार्थना पत्र एसपी सहित तमाम अधिकारियों की नामौजूदगी में वहां लगे शिकायती पत्र वाले बाक्स में डाला। लेकिन हद है कि एसपी कार्यालय तक में शिकायतकर्ताओं को कोई रिसीविंग लोकतांत्रिक व्यवस्था को दरकिनार करते हुए नहीं मिलता तो अन्य थानों पर क्या उम्मीद की जा सकती है। पूछने पर वहां मौजूद महिला पुलिस ने बताया कि शिकायती पत्र पर आन लाइन शिकायत दर्ज कर उसकी रिसीविंग पीड़ित के दिए मोबाइल नंबर पर प्रेषित कर दी जाएगी। लेकिन समानांतर व्यवस्था पर जिम्मेदार अधिकारी रिसिविंग क्यों नहीं देते यह बात स्पष्ट नहीं हो सकी अगर उनकी मंशा लोगों को न्याय दिलवाने के प्रति दुरूस्त है तो?