बाराबंकी- जनपद में भ्रष्टाचार और पुलिस प्रशासन किस कदर बेलगाम है यह इसी से समझा जा सकता है कि योगी आदित्यनाथ के प्रथम बतौर सीएम शासनकाल के चतुर्थ स्तंभ के संरक्षण के लिए जारी शासनादेश में यह स्पष्ट किया गया था किसी भी पत्रकार के खिलाफ शिकायती पत्र पर बिना राजपत्रित अधिकारी की जांच के मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता। लेकिन सामने आए मामले में पूड़ित पत्रकार अनिल कनौजिया की मानें तो क्षेत्र में चोरी की बड़ी घटनाओं को लेकर थाना बदोसराय को लेकर हुई चोरी की खबर जिसमें पीड़ित का बयान भी है चैनल पर चलाने पर संबंधित एसओ ने थाने बुलाकर खबर को डिलिट करने को कहा (जो स्वयं ही असंवैधानिक कृत्य है) और ना हटाने पर कार्रवाई की धमकी दी। (जबकि खबर में कोई असंसदीय भाषा का प्रयोग नहीं है जिसको तमाम संगठनों के पत्रकारों ने पूरी खबर देखकर महसूस किया।) हद तो यह है संवैधानिक व्यवस्था व सुप्रीमकोर्ट के आदेश को दरकिनार जिस पुलिस पर स्वयं आमजन से असंवैधानिक भाषा में अमर्यादित व्यवहार के तमाम आरोप है व जिनकी रोज ही अंग्रेजी हुकूमत की तर्ज पर तमाम कठोर कानूनों के वो पुनरावृत्ति करने से नहीं चूकती एक बड़े पुलिस अधिकारी के बताए अनुसार हो रहे अपराधों पर खबर चलाने से सच दिखाने से आमजन की पुलिस की हीलाहवाली लचर पुलिसिंग पर व्यथा प्रकट करने से पुलिस का मनोबल कम होता है। जो यह बताने के लिए पर्याप्त है कि दरअसल में पुलिस व्यवस्था लोकतांत्रिक ना रहकर हिटलरी गुलाम भारत की तर्ज पर ही पुरानी कहावत याद दिला रही है कि जुलूमिया मारे और रोए भी ना दे वाली व्यवस्था को लेकर कार्य कर रही है। वैसे यह बात तो चुनाव आयोग की कार्रवाई में भी स्पष्ट है कि पुलिस अपने अधिकार क्षेत्र से आगे निकलकर स्वयंभू होकर कार्य कर रही है।
पुलिस की असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक व आक्रमक व्यवहार से बाधित होते चतुर्थ स्तंभ व अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ पत्रकार प्रेस महासंघ व इण्डियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने सामूहिक रूप से बैठक करते हुए पुलिस प्रशासन के पत्रकार के खिलाफ खबर ना हटाने पर दर्ज मुकदमें को असंवैधानिक व अमर्यादित कृत्य बताते हुए मुकदमा दर्ज करने वाले एसओ के खिलाफ अभिव्यक्ति की आजादी बाधित करने, अधिकारों का दुरूपयोग करने, पत्रकार को थाने बुलाकर धमकी देने, जारी शासनादेश व सुप्रीमकोर्ट द्वारा पत्रकारों के काम में बाधा ना डालने के आदेश को तारतार करने के साथ पत्रकार की अकारण बदनामी आदि मामलों में मुकदमा दर्ज करते हुए पत्रकार अनिल कनैजिया के खिलाफ दर्ज फर्जी मुकदमें को निरस्त करने की मांग करते हुए इस संबंध में पत्रकारों के सभी संगठनों की सामूहिक बैठक अगामी रविवार को अपराह्न 02 बजे बुलाई है। जिसमें पुलिस प्रशासन द्वारा अलोकतांत्रिक आचार व्यवहार व अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने सरीखी कार्यशैली पर कलमकारों द्वारा आंदोलन की रूपरेखा पर विचार विमर्श होगा। जिसमें सोमवार को डीएम को इसी आशय का ज्ञापन देकर जनपद में विभिन्न पत्रकारों के खिलाफ हुई अनाधिकृत कार्रवाई पर विरोध जताते हुए तमाम मामलों की पुलिस से इतर सज्ञम एजेंसी द्वारा जांच करवाकर आरोपी पुलिस प्रशासन के कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग भी की जाएगी। तमाम मामलों पर लंबे संघर्ष को क्रमशः विभिन्न जनपदों के साथ प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर लेकर रायशुमारी भी बैठक में की जाएगी।
बैठक में मुख्य रुप से इण्डियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन से प्रदेश सचिव राहुल त्रिपाठी, जिला उपाध्यक्ष आर. एन शर्मा, एप्जा से जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह, पत्रकार प्रेस महासंघ से प्रदेश अध्यक्ष संजय वर्मा‘‘पंकज’’, प्रदेश मध्य उपाध्यक्ष मनोज कुमार शर्मा, जिला अध्यक्ष जितेन्द्र शुक्ला, जिला महामंत्री सार्वजीत वर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष (1) भूपेन्द्र मिश्रा. वरिष्ठ उपाध्यक्ष (2) मोहम्मद अहमद, उपाध्यक्ष सगीर अमानउल्ला, संपादक राष्ट्रीय अदालत चंदन कश्यप, अरशद जमाल, प्रदेश कार्यालय प्रभारी ऋषभ सैनी, महिला जिला अध्यक्ष श्रीमती राम दुलारी पटेल, उपाध्यक्ष सुधीर सोनी, जिला सचिव योगेश मौर्या, मण्डल अध्यक्ष देवेन्द्र मिश्रा, मंडल अध्यक्ष बाबा राजेश भट्ट, जिला मीडिया प्रभारी आलोक कात्यायन माधव, जिला प्रचार मंत्री शरद श्रीवास्तव, नगर अध्यक्ष सद्दाम राईन, पत्रकार अर्जुन सिंह, मोहम्मद तौफीक, गुलशन कुमार यादव उर्फ गुलशन, सतीश कुमाार, ठा, पुष्पंेन्द सिंह, जिला संरक्षक गंगा प्रसाद आदि मौजूद रहे।