अमेठी। जनता के दिल मे जख्म हो चला है। मच्छर से आम जनता परेशान है। महामारी ने रोजगार छीन ली थी। अब बेरोजगार से पाला पडा है। एक एक दाने के लिए मोहताज है। दिहाडी छोड़कर राशन के लिए लाईन लगाते है। अब चावल पर ही सन्तोष करना पड रहा है। गेंहू अब सरकारी राशन की दुकान पर नही दिखता ।आन लाईन आवेदन भरते भरते ऊब गए। लेकिन झोपड़ी से मुक्ति नही मिली। सडक की पटरी पर दुकान लगाते है। फटकार अनसुनी कर गृहस्थी चल रही है। शादी मे,शौचालय मे,पेशन मे,आवास मे,कनेक्शन मे आदि मे ठेकेदार से पाला पडा। जल निकास नाली शहरो मे बनी। लेकिन पानी के बहाव नही है। जल भराव की चपेट पूरा शहर है। बस्ती का वातावरण प्रदूषित है। संक्रामक रोग,बीमारी से जीवन संकट से गुजर रहा है। सरकारी अस्पताल ऐसी चल रही। जहा पटटी,रूई नदारद है। सिरिंज भी नही रहती। एक्स-रे,अल्ट्रासाउंड के डाक्टर नदारद है। सुविधाए है लेकिन जनता को मिल नही पाती है। सरकारी स्कूल मे दोपहर का भोजन शहर के कई स्कूल मे पकता है। रसोईया मास्टर के घर का वर्तन साफ करती है। मानदेय भी मिल रहा है। वेतन तो ले रहे है ।दोपहर के भोजन पकाने और परोसने मे शर्म आती है। साफ-सफाई होती है। गन्दगी बस्ती का मोह छोड नही पा रही है। सडक के पटरी पर टैक्स स्टैंड की नीलामी होती है। जितना नगर निकाय वसूली है। उतना ही थानेदार,टी आई,सीओ कार्यालय की वसूली की बात लोग बताते है
सरकारी बिभाग का परिसर कोई ऐसा नही मिलेगा। जो झाडी,गन्दगी,कूडा करकट,मल-मूत्र से पटा ना हो। स्वच्छता अभियान मे खर्च होता है। लेकिन सफाई कर्मी कभी खुश नही। चताऊ नौकरी से सफाई कर्मी के परिजन बेहतर जीवन का सपना साकार नही हो पा रहा है। जनता के दिल जख्म से भर गये। ऐसे मे आगामी नगर निकाय का चुनाव परिणाम चौकाने वाले होने के आसार लग रहे है। फिर हाल प्रशासन आक्रमक है। नगर निकाय चुनाव को अपने पाले मे करने के लिए राजनीतिक दल अपने पाले मे करने मे जुटे है। जो पदस्थ रहे। उनके लिए टेडी खीर साबित हो रही है। सत्ता अब चुनाव मे सटटा बन कर दिख रही। लेकिन महामारी ने रोजगार छीन लिए है। बेरोजगारी अब किसको निगल जायेगी।जनता की जुबान खुलने के बाद बन्द होने का नाम नही ले रही है।