जिरेनियम एक सुगंधित पौधा है. इस पौधे को गरीबों का गुलाब भी कहा जाता है. जिरेनियम तेल की आजकल बाजार में भारी मांग है. जिरेनियम के फूलों से तेल निकाला जाता है जो औषधी के साथ अन्य और काम में भी आता है. जिरेनियम के तेल में गुलाब जैसी खुशबू आती है और इसका उपयोग एरोमाथेरेपी, सौंदर्य प्रसाधन, इत्र और सुगंधित साबुन बनाने में किया जाता है.
जिरेनियम तेल के फायदे
जिरेनियम तेल एक औषधीय भी है. अल्जाइमर, तंत्रिका विकृति और विकारों को रोकता है. इसके साथ ही मुंहासों, सुजन और एक्जिमा जैसी स्थिति में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. यह बढ़ती उम्र के प्रभाव को भी रोकता है. इसके साथ ही मांसपेशिया और त्वचा, बाल और दांतो को होने वाले नुकसान में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.
जिरेनियम तेल का रेट
जिरेनियम के पौधे से निकलता तेल काफी महंगा होता है. भारत में इसकी कीमत प्रति लीटर करीब 12 हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक होती है.
जिरेनियम की खेती ज्यादातर विदेश में होती है
तेल कैसे निकाला जाता है
जिरेनियम का तेल पौधे के रसीले तनों एवं पत्तियों से वाष्प आसवन विधि द्वारा निकाला जाता है। इसके पौधे को रोज जिरेनियम के नाम से भी जाना जाता है। जिरेनियम की खेती मुख्य रूप से मिश्र, चीन, मेडागास्कर आदि में की जा रही है।
जिरेनियम इनके लिए है खास
कम पानी और जंगली जानवरों से परेशान परंपरागत खेती करने वाले किसानों के लिए जिरेनियम की खेती राहत देने वाली साबित हो सकती है। जिरेनियम कम पानी में आसानी से हो जाता है और इसे जंगली जानवरों से भी कोई नुकसान नहीं है।
नए तरीके की खेती
‘जिरेनियम’ से उन्हें परंपरागत फसलों की अपेक्षा ज्यादा फायदा भी मिल सकता है। खासकर पहाड़ का मौसम इसकी खेती के लिए बेहद अनुकूल है। यह छोटी जोतों में भी हो जाती है।
जलवायु और मिट्टी
इसकी खेती के लिए हर तरह की जलवायु उपयुक्त मानी जाती है. लेकिन कम नमी वाली हल्की जलवायु अच्छी पैदावार के लिए उत्तम मानी जाती है. जिरेनियम की खेती उस क्षेत्र में की जानी चाहिए वार्षिक जलवायु 100 से 150 सेंटीमीटर हो. वहीं इसकी फसल के लिए जीवांशयुक्त बलुई दोमट और शुष्क मिट्टी में बेहतर मानी जाती है. जबकि मिट्टी का पीएचमान 5.5 से 7.5 होना चाहिए.
प्रमुख प्रजातियां
जिरेनियम की प्रमुख प्रजातियां अल्जीरियन, बोरबन, इजिप्सियन और सिम-पवन हैं.
स्थान और पौध की जरूरत
एक एकड़ खेती के लिए करीब चार हजार पौधों की जरूरत पड़ती है। इसके लिए 50-60 वर्ग मीटर का पॉलीहाउस बनाना होता है, जिसमें करीब 8-10 हजार रुपये का खर्च आता है। दोमट और बलुई दोमट मिट्टी में जेरेनियम की फसल बढ़िया होती है। इसकी खेती का सबसे उपयुक्त समय नवंबर महीने को माना जाता है।
पौधे कैसे तैयार
हमारे देश मे इसके बीज नहीं बनते हैं इसके चलते पौधे प्रायः कलम से तैयार किए जाते हैं. पौधे तैयार करने के लिए 8 से 10 सेंटीमीटर उठी हुई क्यारियां बनाकर उसमें खाद और उर्वरक डाल दें. इसके बाद फरवरी-मार्च या सितंबर-अक्टूबर महीने में 5 से 7 गांठ वाली टहनी का चयन करके उसमें से 10 से 15 सेंटीमीटर लंबी और पेन्सिल की मोटाई की टहनियां काटकर लगा दें.
पौधे की रोपाई
अब 45 से 60 दिनों के बाद तैयार खेत में 50 से.मी. X 50 से.मी. की दूरी पर पौधे रोपित करें. पौधे को रोपित करने से पहले थीरम या बाविस्टिन से उपचारित कर लेना चाहिए ताकि पौधे फफूंदीनाशक बीमारियों से प्रभावित न हो.
भारत में यहां हो रही है खेती
जिरेनियम की खेती जनपद पौड़ी , देहरादून, नैनीताल, धारी, रामगढ़, ओखलकांडा के अलावा देश के कई हिस्सों में की जा रही है।