बाराबंकी। 35 वर्षों से जनपद की फतेहपुर तहसील के बसारी गांव के 58 परिवार पट्टे की जमीन पर कब्जे को लेकर संघर्ष कर रहे हैं लेकिन भूमाफिया हुए जनप्रतिनिधि व भ्रष्टाचारी पुलिस प्रशासन में इन ग्रामीणों को तहसील कोर्ट से लेकर डीएम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट हर जगह मिली कागजी जीत पर जिला पुलिस प्रशासन 35 वर्षों में कब्जा नहीं दिला पाया। हालत यह है कि इसमे से कई गुजर चुके हैं और उनके लड़के तो कई के लड़को के लड़के संघर्ष में डटे हैं लेकिन भूमाफियाओं से पुलिस प्रशासन की मिलीभगत में अब तक पट्टे की जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाया है। जिसको लेकर तमाम ग्रामीण गन्ना संस्थान जहां न तो पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही शौचालय की और तो और जानवरो को खतरा अलग है ऐसे स्थान पर संघर्ष करने को यह ग्रामीण बेबस है।
बताते चलें कि गांव के किशोरी लाल पुत्र भीखा ने बताया कि पट्टा उनके स्वर्गीय पिता सहित 139 परिवारों को मिला था जिसमें 35 वर्ष पूर्व तत्कालीन प्रधान धनी राम पुत्र शिवपाल ने 58 लोगों को झूठ बोलकर उनके पट्टे का कागज अमल दरामत के लिए ले लिया और उन्हें भूमि पर कब्जा करने से रोक दिया। जिसको लेकर क्रमशः तहसील न्यायालय से लेकर डीएम के कोर्ट आदि तमाम पड़ाव पर संघर्ष करते हुए ये 58 ग्रामीण परिवार हर जगह मुकदमा तो जीतते रहे लेकिन कहीं इन्हें प्रशासन कब्जा नहीं दिलवा पाया।
अब इसी को लेकर किशोरी लाल पुत्र भीखा, मुन्ना पुत्र घूरा, स्व. अर्जुन के पुत्र राम चरन, उमरा पुत्र नारायण, मुहर्रम अली पुत्र छोटानी का पुत्र इसरार सहित दर्जनों ग्रामीण जमीन पर कब्जे को लेकर अनिश्चित कालीन धरने पर बैठने को मौजूद हैं। इन ग्रामीणों ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि इन्होंने लखनऊ राजधानी जाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से गुहार लगाने का प्रयास किया तो जिला प्रशासन ने इन्हें लखनऊ जाने से ही रोक दिया और जल्द कब्जा दिलवाने का आश्वासन दिया। लेकिन कब्जा उसके बावजूद भी प्रशासन नहीं दिला पाया। मुख्यमंत्री से गुहार लगाने जाने से रोकना देखा जाए तो ग्रामीणों के संविधान प्रदत्त अधिकारों पर सरकारी अतिक्रमण ही कहा जाएगा। लेकिन फिलहाल इन ग्रामीणों का यह अनिश्चितकालीन संघर्ष देश के लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं व काूनन व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह तो लगा ही रहा है भले ही नोटो व पैसों की चमक में अंधे जिम्मेदारों व जनप्रतिनिधियों को यह सब दिखाई सुनाई न दे तब भी।