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तीन दिवसीय कंटीन्यूइंग रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम का हुआ समापन

मसौली, बाराबंकी। दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है कठिन परिश्रम से अपनी कमजोरी को ताकत बनाया जा सकता है। स्टीफन हाकिंग जो चलने फिरने में लाचार थे उन्होंने दुनिया के निर्माण के सिद्घांत समेत कई ऐसे खोज की जिसने विज्ञान की दुनिया हमेशा के लिए बदल दिया। उक्त विचार भारतीय पुनर्वास परिषद्, नयी दिल्ली के तत्वाधान मे काइनेटिक दिव्यांग रिसर्च एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर, बाराबंकी में चल रही तीन दिवसीय कंटीन्यूइंग रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम के अंतिम दिन संस्थापक शैलेन्द्र कुमार ने कही उन्होंने बताया कि कार्यक्रम उद्देश्य था की किस प्रकार से किसी भी दिव्यांगता के हस्तक्षेप प्रक्रिया में अभिभावक या माता-पिता भी समान्तर रूप से भागीदार रहते है।
संस्थान की निर्देशक डॉ. रीना मिश्रा एवं प्रोग्राम के आयोजक सूर्य प्रकाश मिश्रा ने बताया की संपूर्ण प्रोग्राम के दौरान 300 आर. सी. आई. रजिस्टर्ड प्रोफेशनल्स ने भाग लिया।
इस मौके पर संदीप कुमार, कपिल मुनि दुबे, विनोद पाल, सुशांत गुप्ता, श्रीमती मानसी दोषी, श्रीमती नंदिनी तिवारी एवं स्वस्रुण सिंह मौजूद रहे।

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Author: cnindia

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