इमामे हसन उस मजलूम का नाम है जिसके दुश्मन बाहर ही नहीं घर केअन्दर भी थे रू मौलाना जवाद अस्करी
बाराबंकी। 28 सफर को निकला इमाम हसन अ. व हजरत मोहम्मद मुस्तुफा(रसूले खुदा )स. अ. व. का शबीहे ताबूत और अलम का जुलूस हुई मजलिस, नौहा ख्वानी और सीनाजनी।
इमामे हसन अ. नेअपनी शर्तों पर सुलह कर केदीने इस्लाम की हिफाजत की,28 सफर को रसूले खुदा हजरत मोहम्मद मुस्तुफा और इमामे हसन अ. की शहादत हुई यह बात करबला सिविल लाइन में में 28सफर को शहादते इमाम हसन अ. और हजरत मोहम्मद मुस्तुफा स. अ. व. के मौके पर मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना जवाद अस्करी साहब ने कही, हजरत इमाम हसन अ. का मरतबा कम नहीं यह वह मजलूम है जिसके जनाजे पर तीर बरसाया गया स
आखिर में इमाम हसन के दर्द नाक मसायब पेश किये, जिसे सुनकर सभी रोने लगे! मजलिस से पहले नजरानये अकीदत पेश किये गये!मजलिस का आगाज तिलावते कलामे इलाही से हुआ।
नौहाख्वानी व सीनाजनी के साथ शबीहे ताबूत व अलम बरामद हुआ, सभी नेज्यारत की! करबला कैम्पस में गस्त के बाद रौजे पर इक्तेताम पजीर हुआ,बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया।