मसौली, बाराबंकी- ग्राम पंचायत बांसा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के अन्तिम दिन पुर्ण आहूति भण्डारा के साथ कथा का समापन कथा में कथावाचिका प्रीती दीदी मंदाकिनी ने कहा रुक्मिणी, विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। वह मन ही मन श्रीकृष्ण को अपना पति स्वीकार कर चुकी थीं रुक्मिणी ने अपने भाई रुक्म से कहा कि वह सिर्फ श्रीकृष्ण से विवाह करेंगी, नहीं तो अपने प्राण त्याग देंगी। रुक्मिणी ने अपनी सखी के जरिए श्रीकृष्ण को संदेश भिजवाया। संदेश मिलने के बाद श्रीकृष्ण विदर्भ पहुंच गए। जब शिशुपाल विवाह के लिए द्वार पर आया, तब श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया। रुक्मिणी के भाई रुक्म को जब पता चला। तो वह अपने सैनिकों के साथ श्रीकृष्ण के पीछे गए।
श्रीकृष्ण और रुक्म के बीच भयंकर युद्ध हुआ। जिसमें श्रीकृष्ण विजयी हुए। इसके बाद श्रीकृष्ण रुक्मिणी को लेकर द्वारका आ गए और दोनों ने विवाह कर लिया कहा जाता है कि रुक्मिणी देवी लक्ष्मी का अवतार थीं। वहीं उन्होंने सुदामा की कधा का मार्मिक चित्रण जब अपने विस्तार में प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।
कथा आयोजक राजेन्द्र कुमार वर्मा सुरेन्द्र कुमार महेन्द्र कुमार जितेंद्र कुमार वर्मा नितिन मौर्या आदि मौजूद रहे ।