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रक्षा बंधन पर्व के पौराणिक महत्व पर प्रकाश डाला। और बताया कि रक्षाबंधन सिर्फ भाई -बहनों का पर्व ही नहीं बल्कि राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का आह्वान भी है

राष्ट्र रक्षा एवम सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है रक्षा बंधन पर्व: सुभाष
आरएसएस का रक्षाबंधन उत्सव बहनों ने भाइयों को राखी बांधकर दिया समरसता का संदेश।
बाराबंकी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वाधान में रविवार को जीआईसी ऑडिटोरियम में रक्षाबंधन उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम में शामिल लोगों  ने एक दूसरे को राखी बांधकर राष्ट्र रक्षा एवम सामाजिक सद्भाव का संकल्प भी लिया। दीप प्रज्वलन एवम भगवा ध्वज को रक्षा सूत्र बांधकर कार्यक्रम की शुरुआत हुई हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रह्मकुमारी अनुराधा दीदी ने की।
बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए आरएसएस के क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष ने कहा कि भारत में पूरे वर्ष पर्वों की परंपरा रही है। इन्ही पर्वों के माध्यम से उत्साह और उमंग के साथ देशवासी सामाजिक समरसता का संदेश भी देते हैं। उन्होंने। व्यक्ति को समाज से जोड़ने की कल्पना भी इन उत्सवों में निहित है। उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम् भारत की सनातन विचारधारा है जबकि सर्वे भवन्तु सुखिनः भारत का जीवन दर्शन है। उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रेम से सबको जोड़ेंने, मर्यादा को कभी नहीं तोड़ेंने और संकट के समय कर्त्तव्यपथ  पर चलने का दूसरा नाम है।उन्होंने कहा कलियुग में संघे शक्ति ही भारत को विश्व गुरु बनाने में अहम भूमिका निभायेगी। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता के नेरेटिव को भी कठघरे में खड़ा किया। कहा कि पवित्र भारत भूमि पर देवताओं ने धर्म की रक्षा के लिए ही अवतार लिया था।कहा भारत पराक्रम की धरती है ,जहां संस्कार और धर्म एक दूसरे के पूरक हैं। संस्कार अच्छा है तो नागरिकों का राष्ट्र धर्म भी श्रेष्ठ होगा।
इस अवसर पर सह विभाग प्रचारक अमरजीत, नगर संघ चालक विष्णु प्रताप,नगर प्रचारक विभम,नगर कार्यवाह प्रभात, शुभम सहित काफी संख्या में लोग सपरिवार मौजूद रहे।

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Author: cnindia

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