मसौली, बाराबंकी- फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अन्तर्गत ब्लाक सभागार में पराली ना जलायें और उसके प्रबंधन पर ब्लाक स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट खण्ड विकास अधिकारी काव्या सी ने कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी उन्होंने कहा कि फसल के अवशेषों को आग न लगाएं, धरती मां का आंचल बचाएं, फसल अवशेष प्रबंधन उपाय अपनाएं, पर्यावरण को प्रदूषण से बचाएं, भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं, धरती से सोना उगाएं, पराली न जलाओ, वातावरण बचाओ, हर किसान की यही पुकार, हैप्पी सीडर चलाओ अबकी बार, जन-जन को समझाना है, धान की पुआल को खेत में मिलाना है आदि से स्लोगनों से किसानों को पराली न जलाने के प्रति जागरूक करने की सलाह दी।
उपकृषि निदेशक श्रवण कुमार ने किसानों को पराली जलाने से मृदा की उर्वरा शक्ति पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों की जानकारी देते हुए किसानों को पराली का सदुपयोग करके अपनी आय वृद्धि हेतु प्रेरित करने के लिए जागरूक करने की बात कही नोडल अधिकारी श्रवण कुमार ने कृषकों को पराली को न जलाकर इसका उचित प्रबंधन कराने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि पराली को चारा, खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, पराली जलाने से जमीन में उपस्थित मित्र जीव नष्ट हो जाते है तथा जमीन की उवर्राशक्ति नष्ट हो जाती है।
इस अवसर पर सहायक विकास अधिकारी कृषि विजय कुमार ने बताया कि डीकम्पोजर के माध्यम से पराली से उन्नत खाद बनाई जा सकती है, उन्होंने यह भी बताया कि कृषि यंत्रों के माध्यम से पुआल को खेत में मिलाया जा सकता है जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।
इस मौक़े पर सहायक विकास अधिकारी पंचायत जानकीराम, सहायक विकास अधिकारी आई एस बी मदन गोपाल कनौजिया, जे ई एम आई अरुण कुमार ब्यास, बी ई ओ पी आर डी विकास तिवारी, अजय कुमार गुप्ता, ग्राम प्रधान नूरमोहम्मद, नफीस अहमद, विजय कुमार वर्मा, नीरज कुमार, श्रीकांत, सहित पंचायत सचिव आदि लोग मौजूद रहे।
Author: cnindia
Post Views: 2,347