निंदूरा, बाराबंकी- सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में बुधवार को चैथे दिन कथा व्यास अलोक सरस महाराज ने भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा का विस्तार करते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है।
भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। महाराज ने कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में जिस प्रकार के कर्म करता है उसी के अनुरूप उसे मृत्यु मिलती है। भगवान ध्रुव के सत्कर्मों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ध्रुव की साधना,उनके सत्कर्म तथा ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा के परिणाम स्वरूप ही उन्हें वैकुंठ लोक प्राप्त हुआ। कथा के दौरान महराज ने बताया कि संसार में जब-जब पाप बढ़ता है, भगवान धरती पर किसी न किसी रूप में अवतरित होते हैं। उन्होंने कहा कि कलयुग में भी मनुष्य सतयुग में भगवान कृष्ण के सिखाए मार्ग का अनुसरण करे तो मनुष्य का जीवन सफल हो सकता है।
इस मौके पर आयोजन राजेश यादव, प्रभाकर सिंह , रामसजीवन,अजय कुमार व समस्त क्षेत्रवासी मौजूद रहे।