क्षेत्रीय ग्रामीण जनता में प्रशासन द्वारा पुजारी बाबा के पुत्र के खिलाफ की गई कार्रवाई जबरदस्त आक्रोश
बाराबंकी। बीते एक दशक से भू माफियाओं वा प्रशासन राजस्व विभाग की मिलीभगत परोक्ष या अपरोक्ष रूप में सब के समक्ष जगजाहिर हो चुकी है लेकिन मजाल है की सरकारी मुलाजिमों वा संबंधित जनप्रतिनिधियों के वेश में सफेदपोश भू माफियाओं पर कोई कार्यवाही जनता के सामने उजागर हुई हो।
हाल यह है की जनपद के तमाम तालाबों चारागाह सहित अन्य जनहित से संबंधित जमीनों पर तो अवैध कब्जा हो बकायदा प्लाटिंग हो आवासीय कालोनी विकसित हो चुकी हैं लेकिन जिला प्रशासन व भूमाफिया जनप्रतिनिधियों की आंखों में 50सों वर्ष से धार्मिक आस्था का केंद्र रहे तमाम साधुओं-सन्यासियों की जमीनें बेशकीमती होने के चलते खटकने लगीं है। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण थाना जैदपुर क्षेत्रान्तर्गत ग्राम अकबरपुर धनेठी स्थित बैकुठपुरी आश्रम व शिवमंदिर की जमीन है जिसपर पूर्व में सरकारी तंत्र द्वारा ही तमाम विकास कार्य में मार्ग-नल-सोलरलाईटें-शौचालय आदि कई दशकों दौरान कराए जा चुके है।
मामला जनपद बाराबंकी के थाना जैदपुर अंतर्गत ग्राम अकबरपुर धनेठी का है जहां पर लगभग 200 वर्ष से भी ज्यादा पुराना कुआं जिसे बुडहिया कुआ के नाम से जाना जाता है यहां पर आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व एक बाबा आए थे जिनका नाम बैजनाथ बैकुंठी था उन्हीं के नाम से बैकुंठपुरी आश्रम जाना जाता है वहां के ग्रामीणों व क्षेत्रवासियों ने बताया कि आज से 40 वर्ष पूर्व कुआं की सफाई में प्राचीन मूर्तियां मिली थी उन मूर्तियों को स्थापित करने हेतु ग्राम वासियों ने बाबा की अगुवाई में वहीं पर मूर्ति स्थापित कर दिया था और बाबा जी वहीं पर चबुतरा बना पूजा पाठ किया करते थे लोगों ने बताया कि उन्होंने करीब 3 वर्ष अब तक खड़े-खड़े तपस्या की इस प्रकार वहीं पर उन्होंने अपना पूरा जीवन बिता दिया उस दौरान उन्होंने वहां पर काफी औषधि वृक्षों व फलदार वृक्षों को भी लगाया जो आज भी मौजूद है 11 जून 2013 को तपस्वी बाबा का देहावसान हो गया उसके बाद यहां पर एक बाबा महेश पुरी रहे उनका देहावसान 04/10 /2021 को हो गया इस प्रकार अब आश्रम पर रहने वाला कोई नहीं रहा तो तपस्वी बाबा बैद्यनाथ बैकुंठपुरी के पुत्र शिवकुमार की अगुवाई में ग्रामीणों ने चंदा लगाकर जहां पर तपस्वी बाबा पूजा करते थे उस मंदिर का जीर्णाेद्धार किया और विगत 28 /11 /2022 को भंडारा होना तय हुआ किंतु वहां के प्रधान ने रामाशंकर रावत ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि यहां पर सरकारी जमीन है इस पर भंडारा नहीं किया सकता इस पर सैकड़ों ग्रामीण आक्रोशित हो उठे और प्रधान के खिलाफ नारेबाजी भी की ग्रामीणों ने कहा कि यहां पर 40 साल से पूजा-पाठ भंडारा होता रहा है और अब प्रधान विरोध कर रहे हैं इसकी शिकायत करने सैकड़ों ग्रामीण उप जिलाधिकारी के यहां गए तो उपजिलाधिकारी ने नवाबगंज व नायब तहसीलदार नवाबगंज ने बताया कि वह जमीन सरकारी बंजर की भूमि है वहां पर मंदिर का निर्माण गलत तरीके से किया गया है वहां पर कोई भंडारा करने की अनुमति नहीं दी गई किंतु अब उन भक्तों आस्था का क्या जिनकी आस्था वहां से जुड़ी थी उन भक्तों का कहना यह है कि जब यह भूमि सरकारी थी तो वहां पर सरकारी धन से ग्राम प्रधान पूर्व ग्राम प्रधान द्वारा सरकारी सुविधाएं क्यों मुहैया कराई गई क्या सरकार का धन इस कार्य के लिए लगना चाहिए वहां पर सरकारी इंटरलॉकिंग लगाई गई वहां पर सरकारी धन से सरकारी नल लगाया गया वहां पर सरकारी धन से शौचालय बनवाया गया वहां पर सरकारी धन से सोलर लाइट की व्यवस्था की गई यदि यह आश्रम नहीं था तो क्यों की गई फिलहाल ग्रामीणों व वहां पर आने जाने वाले भक्तों मे इस बात का आक्रोश है उनका कहना है कि यदि यह सरकारी भूमि थी तो वहां के पूर्व प्रधान ,ग्राम विकास अधिकारी ,सांसद, विधायक आदि जिन लोगों ने भी वहां पर सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराई। उन पर भी मुकदमा पंजीकृत किया जाना चाहिए जबकि ऐसा न कराके लेखपाल ने बाबाजी के पुत्र पर अवैध कब्जे की मुकदमा पंजीकृत करा दिया ग्रामीणों का कहना है कि हम सब लोगों ने चंदा दिया वहां पर मंदिर का जीर्णाेद्धार किया। हम पर भी एफआईआर. हो, बाबा जी के पुत्र पर ही क्यों?