दिल्ली हाईकोर्ट ने रेलवे में दिव्यांगजनों के टिकट में रियायत देने के लिए मुख्य न्यायाधीश सतीशचंद्र शर्मा और न्यायाधीश सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने मामले में हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने हुए कहा, यह नीतिगत निर्णय है और निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से लिया है। इससे निशक्तजनों को रियायती टिकट खरीदने के लिए बार-बार विशिष्ट निशक्तता पहचान प्रमाण पत्र यूडीआईडी जमा करने की जरूरत नहीं रहेगी। अदालत को रेलवे के आदेश के खिलाफ हस्तक्षेप का कोई कारण नजर नहीं आता। अदालत ने यह भी संज्ञान में लिया कि कल्याणकारी कदम के तौर पर रेलवे ने यात्रियों को 50 से अधिक श्रेणियों के तहत किराए में रियायत दी है। इनमें दिव्यांग यात्रियों की चार श्रेणियां, 11 प्रकार के रोगी, वरिष्ठ नागरिक, प्रेस संवाददाता, वीरांगनाएं व खिलाड़ी शामिल हैं। नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर राइट्स ऑफ द डिसएबल्ड नामक गैरसरकारी संगठन ने रेलवे के इस आदेश को चुनौती दी थी।