बाराबंकी। फाइलेरिया मरीज स्वयं की बेहतर देखभाल कर सकें इसके लिए सीएमओ कार्यलय के आरसीएच हाल में एमएमडीपी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान पाथ के प्रोग्राम ऑफिसर डा शोएब अनवर ने जिले के सभी सीएचसी अधीक्षक एवं स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी व बीसीपीएम को पीपीकिट के माध्यम से हाइड्रोसिल, स्तन का सूजन, हाथ व पैर में सूजन आदि की बेहतर देखभाल के बारे में प्रशिक्षित कर बिन्दूवार जानकारी दिया।डॉक्टर शोएब ने बताया कि फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के लटकते अंगों में होती है। इसमें मुख्य रुप से पैर, अंडकोष में सूजन, स्त्रियों के स्तन में सूजन हो जाती है। इस बीमारी के होने के बाद कोई इलाज नहीं है लेकिन बीमारी ना हो इसके लिए साल भर में एक बार दवा का सेवन जरूर करना चाहिए। उन्होने कहा कि अगर दवा का सेवन कर लिया गया है तो यह रोग नहीं होगा। फाइलेरिया बीमारी से पीड़ित व्यक्ति कुछ सावधानियां बरतें व अपनी समुचित देखभाल करें तो बीमारी बढ़ेगी नहीं। उन्होंने फाइलेरिया रोग के कारण, लक्षण, बचाव, उपचार, रुग्णता प्रबंधन एक्सरसाइज, आदि पर विस्तार से जानकारी देते हुए मरीजों को एमएमडीपी किट भी वितरित किया।
इस दौरान डॉक्टर शोएब ने बताया मॉर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एमएमडीपी) इसमें फाइलेरिया के रोगियों को एमएमडीपी क्लिनिक और एमएमडीपी किट के माध्यम से पर्सनल हाइजीन, स्किन एंड वूंड केयर, एक्सरसाइज, इलिवेशन और सूटेबल जूते पहनने के बारे में जानकारी दी ताकि फाइलेरिया के रोगी काफी हद तक अपनी परेशानियों से छुटकारा पा सकें।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी वेक्टर बार्न नोडल डा डीके श्रीवास्तव ने बताया फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ विभाग के कार्यकर्ता घर-घर सर्वेकर फाइलेरिया से ग्रसित रोगियों का पता लगाते हैं। साथ ही जो रोगी चिन्हित होते हैं उनकी लाइन लिस्टिंग कर उनको एमएमडीपी ( प्रभावित अंगो की देखभाल) प्रशिक्षण देकर किट प्रदान किया जाता है। जिसमें बाल्टी, मग, तोलिया, साबुन, एंटीसेप्टिक इत्यादि दिया जाता है, जिससे कि मरीज अपनी उचित देखभाल साफ-सफाई इत्यादि का ध्यान रखें।
नोडल अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया को हाथीपाँव रोग के नाम से भी जाना जाता है। जिसमें बुखार का आना, शरीर पर लाल धब्बे या दाग का होना एवं शरीर के अंगों में सूजन का आना फाइलेरिया की शुरूआती लक्ष्ण होते हैं। यह क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है।जिला मलेरिया अधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से फाइलेरिया रोगियों की सूची मांगी गई है। इनकी सूची मिलते ही जल्द से जल्द सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर उनको किट प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया लोग खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें। उन्होंने बताया 2 साल से कम उम्र के बच्चे, गंभीर रोग से ग्रसित एवं गर्भवती महिला को फाइलेरिया की दवा नहीं खिलाई जाएगी।
इस मौके पर सहायक जिला मलेरिया अधिकारी, जिला नियंत्रण अधिकारी नीलम द्विवेदी, फाइलेरिया एवं मलेरिया निरीक्षक पाथ संस्था के आरएन टीडीओ डॉ अनंत विशाल, जिला समन्वयक अखिलेश श्रीवास्तव सहित आदि अधिकारी मौजूद रहे