देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के प्रस्ताव के मद्देनजर 9 जुलाई को अजमेर में मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई। मुस्लिम एकता मंच के बैनर तले हुई इस बैठक में केंद्र सरकार से आग्रह किया गया कि यूसीसी में मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं और परंपराओं का ख्याल रखा जाए। बैठक में प्रतिनिधियों ने कहा कि हमारे समाज में ऐसी अनेक परंपराएं हैं, जो मुस्लिम धर्म से संबंध रखती हैं। यही वजह है कि इन परंपराओं से आम मुसलमान की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई है। प्रतिनिधियों ने कहा कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो इस पर कोई एतराज नहीं है, लेकिन इस कानून के प्रावधानों में मुस्लिम समुदाय की भावनाओं और परंपराओं का ख्याल रखा जाए। प्रतिनिधियों ने कहा कि विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने जैसे मामले मुसलमानों के व्यक्तिगत जीवन को नियंत्रित करते हैं। बैठक में कुछ उदाहरण भी प्रस्तुत किए गए जो इस प्रकार है।
1.धार्मिक विविधता की मान्यता: भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जो अपने नागरिकों की विविध धार्मिक मान्यताओं और प्रथाओं का सम्मान करता है और उन्हें समायोजित करता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ का अस्तित्व देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को स्वीकार करता है, जिससे मुसलमानों को व्यक्तिगत मामलों में अपने धार्मिक कानून का पालन करने की अनुमति मिलती है।
2. सांस्कृतिक पहचान का संरक्षण: मुस्लिम पर्सनल लॉ भारत में मुस्लिम समुदाय की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को सरंक्षित और पोषित करने में मदद करता है। यह मुसलमानों को उनकी धार्मिक परंपरा और रीति रिवाजों के अनुसार अपना जीवन जीने में सक्षम बनाता है।
3.विवाह और तलाक: मुस्लिम पर्सनल लॉ जीवन के आवश्यक पहलुओं जैसे विवाह और तलाक को नियंत्रित करता है। यह मुस्लिम विवाह निकाह पति-पत्नी के अधिकारों और दायित्वों तलाक के लिए प्रक्रियाओं और रखरखाव के अधिकारों सहित अन्य बातों के संचालन के लिए नियम प्रदान करता है।
4. वंशानुक्रम और उत्तराधिकार: मुस्लिम पर्सनल लॉ मुसलमानों के बीच विरासत और उत्तराधिकार के लिए विस्तृत नियम प्रदान करता है जो अन्य समुदायों पर लागू होने वाले भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम से अलग हैं। नियम धार्मिक ग्रंथों पर आधारित हैं और मुस्लिम समुदाय के बीच सख्ती से पालन किया जाता है।
5.दत्तक ग्रहण और संरक्षकता: कानून गोद लेने और संरक्षकता से संबंधित मुद्दों से भी निपटता है जिनके पास भारत में अन्य व्यक्तिगत कानूनों की तुलना में अद्वितीय पैरामीटर हैं।
6. विवाद समाधान: भारत में न्यायालय मुसलमानों के बीच व्यक्तिगत मामलों से संबंधित विवादों को हल करने के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ का उल्लेख करते हैं। इसलिए यह ऐसे मामलों में न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ के रूप में कार्य करता है।
बैठक में कहा गया कि मुस्लिम समुदाय की पहचान धार्मिक प्रथाओं और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने की है। देश में बहुलवादी प्रकृति और भारतीय संविधान की अपने सभी नागरिकों के अधिकार देने की मंशा कायम रहनी चाहिए। इस बैठक में नवाब हिदायत उल्ला, पीर नफीस मियां चिश्ती, काज़ी मुन्नवर अली, आरिफ हुसैन, अहसान मिजऱ्ा, अब्दुल मुगनी चिश्ती, मोहम्मद इकबाल, पार्षद मोहम्मद शाकिर, अब्दुल नईम खान, हाजी रईस कुरैशी, एडवोकेट हाजी फय्याज उल्ला, अब्दुल सलाम, सैय्यद गुलज़ार चिश्ती, सलमान खान, आसिफ अली, सैय्यद अनवर चिश्ती, हनीफ, एसए काजमी, वसीम सिद्धिकी, एहतेजाज़ अहमद आदि उपस्थित रहे।
जन आंदोलन:
अजमेर जिले के निकटवर्ती नागौर जिले के कुचामन-डीडवाना को नया जिला बनाने की घोषणा के बाद पीलवा उप तहसील की 12 ग्राम पंचायतों को अजमेर जिले में शामिल करने की मांग जोरों पर है। पीह के सरपंच अमर चंद जाजड़ा ने बताया कि ग्राम पंचायत रघुनाथपुरा, कुंडरी, रीड, नैतियावास, जाजबात, मोड़ी खुर्द, पीलवा, कालेसरा, भटासिया, बस्सी व मायापुर के गांव की दूरी अजमेर से अधिकतम 25 किलोमीटर की है। जबकि कुचामन डीडवाना की दूरी करीब 100 किलोमीटर की है। ऐसे में इन ग्राम पंचायतों के ग्रामीण अजमेर जिले में शामिल होना चाहते हैं। ग्राम पंचायतों की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी पत्र लिखे गए हैं। जाजड़ा ने कहा कि जब नए जिलों के गठन का उद्देश्य लोगों को राहत दिलाता है, तब पीलवा उप तहसील ग्राम पंचायतों को अजमेर में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि इन ग्राम पंचायतों को जबरन कुचामन डीडवाना जिले से जोड़ा जाएगा तो सरकार के खिलाफ जन आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में भी इन ग्राम पंचायतों के ग्रामीण अजमेर शहर ही आते जाते हैं। ऐसे में जिला मुख्यालय अजमेर होगा तो सरकारी कामकाज में भी आसान होंगे। सरकार को इन ग्राम पंचायतों से कुचामन डीडवाना से दूरी का ख्याल रखना चाहिए। मालूम हो कि पीह सरपंच जाजड़ा ने हाल ही में अपना राजनीतिक शक्ति परीक्षण किया है। स्वयं की 37 बीघा भूमि गौशाला को समर्पण करने वाले कार्यक्रम में भाजपा विधायक दल के उपनेता डॉ. सतीश पूनिया भी शामिल हुए थे। करीब 15 हजार लोगों की उपस्थिति में पूनिया ने जाजड़ा को ऊर्जावान नेता बताया। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति 37 इंच जमीन भी नहीं छोड़ता है, तब जाजड़ा ने 37 बीघा भूमि का दान किया है, यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भूमि पूजन और समर्पण समारोह में बड़ी संख्या में लोगों के साथ एक हजार कार जीप तथा करीब ढाई सौ ट्रेक्टर शामिल थे। डॉ. पूनिया को बग्घी में बिठाकर जुलूस निकाला गया। इस अवसर पर नागौर के जिला प्रमुख भागीरथ चौधरी, वरिष्ठ नेता हरिराम रंणवा, माधौराम चौधरी, अख्तर सिंह भड़ाना, भंवरलाल बुला आदि मौजूद रहे।