सऊदी अरब के नेता और मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल ईशा ने कहा है कि भारत में रहने वाले मुसलमानों को गर्व है कि वे भारतीय नागरिक हैं। 11 जून को नई दिल्ली में इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में आयोजित एक समारोह में अल ईशा ने कहा कि भारत सह अस्तित्व के क्षेत्र में दुनिया में एक मॉडल देश है। यहां मुसलमानों से किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होता। भारत में जिस सुकून के साथ मुसलमान रह रहे हैं, उसमें भारत के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए। अल ईशा का यह बयान उस समय आया है, जब भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को लेकर चर्चा हो रही है। देश के अनेक मुस्लिम संगठन यूसीसी का विरोध कर रहे हैं, जबकि सरकार की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि यूसीसी से किसी के भी धार्मिक अधिकार खत्म नहीं होंगे, बल्कि भारत में रहने वाले सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलेंगे। देश के मौजूदा हालातों में मुस्लिम वर्ल्ड लीग का बयान काफी मायने रखता है। मुस्लिम वर्ल्ड लीग को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उदारवादी इस्लाम की आवाज माना जाता है। यह बयान उन लोगों को जवाब है जो भारत के मुसलमानों को असुरक्षित मानते हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने हाल ही की अमेरिका यात्रा के दौरान कहा था कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय डरा हुआ है। अल ईशा का बयान राहुल गांधी को भी जवाब है। कुछ लो भले ही मुसलमानों को असुरक्षित बताएं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि भारत में मुसलमान न केवल सुरक्षित है, बल्कि समृद्ध भी है। भेदभाव का तो सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि लाखों हिन्दू मुस्लिम सूफी संतों की दरगाहों में जाकर जियारत करते हैं। जब हिन्दुओं की इस्लाम में इतनी अकीदत है, तब मुसलमानों के साथ भेदभाव हो ही नहीं सकता। भले ही कश्मीर में हिन्दुओं की टारगेट किलिंग हो रही हो, लेकिन फिर भी दरगाहों में हिन्दुओं का जाना जारी है। असल में भारत की सनातन संस्कृति कभी भी हिंसा की सीख नहीं देती है। जिस सह अस्तित्व का उल्लेख अल ईशा ने आज किया है उस सह अस्तित्व की पालना भारत वर्षों से करता आ रहा है। यही वजह है कि विभाजन के समय मुसलमान की संख्या तीन करोड़ थी, जो आज बढ़कर 25 करोड़ हो गई है। जबकि पाकिस्तान में रहने वाले कुछ हिन्दुओं को भी पाकिस्तान छोड़ने को मजबूर होना पड़ रहा है। जो लोग भारत में मुसलमानों को असुरक्षित मानते हैं उन्हें भी पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की बुरी दशा की जानकारी है, लेकिन ऐसे नेता और बुद्धिजीवी पाकिस्तान की आलोचना नहीं करते हैं। एक हजार की हिन्दू आबादी में पांच मुस्लिम परिवार निडर होकर रहते हैं, यह भारत की सह अस्तित्व की संस्कृति है।