क्या सोची समझी चुनावी रणनीति के तहत सीमा हैदर को भारत लाया गया है। सारा देश जानता है कि पाकिस्तान में हिंदुओं के विरुद्ध घटने वाली सभी घटनाएं भारत में हिंदु वोटों के ध्रुवीकरण में अद्भुत योगदान देती है पिछले लोकसभा चुनावों में पुलवामा और उसके बाद हुए घटनाक्रम इसका साक्षात् उदहारण है।सीमा का सचिन से अफेयर पबजी नामक मोबाइल गेम से हुआ, जबकि यह गेम भारत में बैन है। हिंदु मुस्लिम मामलों में तत्काल अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले भड़काऊ नेता, संत, दल, और उनके मुस्लिम सहयोगी चुप हैं। सारे गोदी मीडिया को इस बाबत पाकिस्तान में हो रहे रिएक्शन पर बढ़ा चढ़ाकर खबरें दिखाने में लगा दिया गया है। सारा मीडिया और एजेंसियां यह दिखा रहीं हैं कि इस घटना से पाकिस्तान में मंदिरों, हिंदु बहुल क्षेत्रों और हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है और वहां के अतिवादी संगठन भयानक किस्म की धमकियां दे रहे हैं।इसके बावजूद जबकि एक पाकिस्तानी महिला अपने चार बच्चों के साथ अवैधानिक रुप से भारत आ गई उसे खुला छोड़कर बार बार मीडिया के सामने लाया गया है, यह उस प्रदेश में हो रहा जहां भाजपा ने हिंदुत्व की प्रयोगशाला बना रखी है जहां का भगवाधारी मुख्यमंत्री ऐसे संवेदनशील मामले में तत्काल प्रतिक्रिया करने विख्यात है। सीमा के चार बच्चों को भारत की नागरिकता के मामले में सभी मौन है। राजनयिक तौर पर दोनों देश चुप हैं।क्या यह उस बिरियानी पार्टी का असर है, जिसमें साहब बिना बुलाए पहुंचे थे, वहां भी चुनाव आसन्न हैं और यहां भी, दोनों को पता है कि इस मुद्दे पर दोनों देशों में भावनाएं भड़काई जा सकती हैं जो हर मुद्दे को पीछे छोड़कर चुनावी जीत में सहायक हो सकती है और दोनों की सरकार फिर बनवा सकती है।