www.cnindia.in

Search
Close this search box.

become an author

22/11/2024 4:58 pm

Search
Close this search box.

परमवीर चक्र मेजर शैतान सिंह छात्रावास व शिक्षण संस्थान का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का मामला अटकने से दो सांसदों की पचास लाख रुपए की राशि भी फंसी। राजपूत समाज का आपसी विवाद।

अजमेर के कुंदन नगर स्थित परमवीर चक्र मेजर शैतान सिंह छात्रावास व शिक्षण संस्थान में लाइब्रेरी निर्माण और सोलर प्लांट लगाने के लिए राज्यसभा के भाजपा सांसद व केंद्रीय भूपेंद्र यादव तथा कांग्रेस के सांसद नीरज डांगी ने 25-25 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की। इस स्वीकृत राशि के लिए दोनों सांसदों ने अपने पत्र अजमेर की जिला परिषद को भिजवा दिए ताकि नियम अनुसार काम शुरू हो सके। सांसदों के कोष के उपयोग के जो नियम बने हैं उसके मुताबिक उन्हीं संस्थाओं को राशि दी जा सकती है, जिनका रजिस्ट्रेशन दर्पण पोर्टल पर हो। दर्पण पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन को ऑनलाइन करने के लिए ही संस्था के अध्यक्ष सुमेर सिंह शेखावत ने आवेदन किया। लेकिन अब इस आवेदन पर राजपूत समाज के ही प्रतिनिधि नरेंद्र सिंह शेखावत ने आपत्ति दर्ज करवा दी है। अजमेर स्थित सहकारिता विभाग की डिप्टी रजिस्ट्रार अभिलाषा पारीक को लिखे एक पत्र में शेखावत ने आरोप लगाया है कि सुमेर सिंह शेखावत की अध्यक्ष वाली कार्यकारिणी असंवैधानिक है, क्योंकि संस्था का चुनाव नियमों के विपरीत हुआ है। इसलिए संस्थान के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए। सहकारिता विभाग को बताया कि नए कार्यकारिणी के चुनाव का मामला अजमेर की एडीजे कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में कोर्ट के निर्णय से पहले कोई कार्यवाही नहीं हो सकती है। इस संबंध में अध्यक्ष शेखावत का कहना है कि हमने संस्था के नाम में कोई बदलाव नहीं किया है। वर्ष 2014 में ही संस्था के नाम से राजपूत शब्द हटा दिया गया था, क्योंकि जनप्रतिनिधियों के कोष का उपयोग किसी समाज की संस्था के लिए नहीं हो सकता है। यही वजह रही कि पूर्व में वासुदेव देवनानी सहित कई विधायकों द्वारा स्वीकृत राशि का उपयोग किया गया। चूंकि सांसदों की राशि के उपयोग के लिए संस्थान का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होना जरूरी है, इसलिए नई प्रक्रिया को अपनाया गया है। इस संबंध में शिकायतकर्ता नरेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि संस्था के नाम में बदलाव का अधिकार कार्यकारिणी को नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व में जो आर्थिक अनियमितताएं हुई है उन्हें मिटाने के लिए संस्था के नाम में बदलाव किया गया है। उन्होंने कहा कि जिन पुराने लोगों ने संस्था को खड़ा करने में मेहनत की उन्हें अब नजरअंदाज किया जा रहा है। यहां तक कि संस्थापक सदस्यों को भी हटा दिया गया है। समाज के आपसी विवाद की वजह से ही दो सांसदों द्वारा स्वीकृत पचास लाख रुपए की राशि भी फिलहाल फंस गई है। नरेंद्र सिंह शेखावत की लिखित आपत्ति के बाद संस्थान के रजिस्ट्रेशन को ऑनलाइन किया जाना मुश्किल हो रहा है। इस संबंध में सहकारिता विभाग की डिप्टी रजिस्ट्रार अभिलाषा पारीक का कहना है कि 2021 के बाद से ही रजिस्ट्रेशन को ऑनलाइन किए जाने की प्रक्रिया शुरू है। किसी भी संस्था के नाम में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। पूर्व में जिस नाम से रजिस्ट्रेशन हो रखा है उसी नाम को दर्पण पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।

cnindia
Author: cnindia

Leave a Comment

विज्ञापन

जरूर पढ़े

नवीनतम

Content Table