भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिला महासचिव चौधरी नवाब सिंह ने बयान जारी कर कहा है केंद्र व प्रदेश सरकार किसान मजदूर का भला करना कतई भी नहीं चाहती है इसका प्रमाण है यूरिया सहित सभी रासायनिक उर्वरकों की कालाबाजारी यदि प्रदेश सरकार रासायनिक उर्वरकों की कालाबाजारी समाप्त करना चाहती है। तो प्रदेश में एफओआर व्यवस्था लागू की जाय। प्रदेश सरकार व कृषि विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से रासायनिक उर्वरकों की कालाबाजारी हो रही है। उदाहरण के लिए अलीगढ़ में रैक पाइनट पर फुटकर विक्रेता को यूरिया खाद का 45 किलोग्राम का एक बैग 255 रुपए में थोक विक्रेताओं के द्वारा दिया जाता है। छर्रा, खैर इगलास गंगीरी टप्पल आदि स्थानों के फुटकर विक्रेता को 25 रुपए भाड़ा देना होता है फुटकर विक्रेता को 280 रुपए में एक बैग यूरिया खाद मिलती है उसको भी दस रुपए प्रति बैग की मुनाफा चाहिए। किसान मजदूर को बैग कीमत 290 से 300 रुपए देनी पड़ रही है। सरकार द्वारा निर्धारित कीमत 268 रुपए प्रति बैग में किसान मजदूर को मिलना चाहिए एक वर्ष में मात्र यूरिया खाद की कालाबाजारी के कारण किसान मजदूर को बीस करोड़ रुपए के करीब अधिक देना पङ रहा है। अनावश्यक कृषि निवेश जबरन फुटकर विक्रेता किसान मजदूर को देता है। इस कालाबाजारी के लिए प्रदेश सरकार वजिला प्रशासन क्रषि विभाग के अधिकारी पूरी तरह से जिम्मेदार हैं यदि जिला प्रशासन चाहे तो तो तुरन्त ही कालाबाजारी को रोका जा सकता है इस घोर भ्रष्टाचार में सभी अधिकारी रोकी हिस्सेदारी है।