बाराबंकी। जहां प्रदेश सरकार स्वास्थ सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए भरकर प्रयास कर रही हैं आज प्राथमिक स्वास्थ केंद्र से लेकर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र हो या फिर जिला अस्पताल में स्वास्थ सुविधाओं में इजाफा हुआ है।
लेकिन आज भी तहसील मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक कुछ ऐसे अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं जिनके पास उन अस्पतालों को संचालित करने की योग्यता नहीं है ये यह सब स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के रहमों करम पर किया जा रहा है ऐसे एक नहीं कई उदाहरण हैं जब इन झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से कई मरीजों की मौत हुई है लेकिन इन झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई है ऐसा भी नहीं है कि झोलाछाप डॉक्टरों की शिकायत ग्रामीणों द्वारा स्वास्थ्य विभाग में बैठे अधिकारियों से नहीं की गई है ताजा मामला ग्राम घघसी का है जहां पर ग्रामीणों ने राजेश कुमार पुत्र पुत्ती लाल जो कि झोलाछाप डॉक्टर एक क्लीनिक अपने घर पर घघसी में और दूसरा क्लीनिक फतेहपुर दोनों जगह पर संचालित कर रहा है जिसकी शिकायत आये ग्रामीणों ने अधीक्षक से लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी से अक्सर की जाती है रहती है लेकिन कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है जिससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। आपको बताता चलूं तहसील फतेहपुर क्षेत्र में करीब 1 दर्जन से ज्यादा जच्चा बच्चा केंद्र संचालित हो रहे हैं वही बेलहरा छेदा झंझरा जैसे ग्रामीण अंचलों में भी इन झोलाछाप डॉक्टरों के चंगुल में फंसकर आम ग्रामीण लूट रहा है
ग्रामीण बताते हैं कि घघसी ग्राम में झोलाछाप डॉक्टर राजेश के द्वारा बीते कुछ वर्षों में इलाज के दौरान एक मरीज की मौत भी हो गई थी ग्रामीणों ने हंगामा काटा लेकिन कार्रवाई के नाम पर नतीजा कुछ भी नहीं निकला इसी तरह छेदा पुलिस चौकी के ठीक सामने संचालित हो रहे एक क्लीनिक पर भी इलाज के दौरान एक महिला की मौत हो गई थी यह उदाहरण सिर्फ एक बानगी के तौर पर लिए जाते हैं कई बार तो ऐसा होता है कि इलाज के दौरान मौत होने पर भी ऐसी घटनाएं प्रकाश में नहीं आती हैं। राजेश जैसे झोलाछाप डॉक्टरों की शिकायत होने पर भी कार्यवाही ना होने से स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं और इस तरह के झोलाछाप डॉक्टर सरकार की मंशा को चुना लगा रहे हैं।