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‘मणिपुर हिंसा राज्य प्रायोजित है’: यह सांप्रदायिक नहीं बल्कि इसके पीछे कारपोरेट एजेंडा है.

National Federation of Indian Women (NFIW) की तीन सदस्यीय टीम [Annie Raja, Nisha Siddhu, Deeksha Dwivedi] ने मणिपुर के सघन दौरे के बाद अपनी जांच-रिपोर्ट में निष्कर्ष रूप में यह कहा है.इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि 4 मई को हिंसा शुरू होने से पहले ही न्यू चेकोन [New Chekon ] क्षेत्र में कुकी समुदाय के तीनचर्च को सबसे पहले वहां की राज्य सरकार ने ही अतिक्रमण का बहाना लेकर गिरा दिया था. उसके बाद जंगल में अतिक्रमण के नाम पर कान्ग्पोपकी और तेंगोपाल [Kangpopki and Tengoupal] क्षेत्रों में कुकी समुदाय के दर्जनों गाँवों को उजाड़ दिया गया और जंगल-संरक्षण [Forest Preservation and Wildlife Protection] के नाम पर बिना पूर्व-सूचना के उनके घरों को गिरा दिया गया.इसके अलावा राज्य सरकार ने एक तरफ़ा एलान करते हुए कुकी से सम्बन्ध रखने वाले दो मिलिटेंट समूहों से वर्षो से चल रहे शांति-समझौते [Suspension of Operation] को एकतरफा तरीके से तोड़ दिया. हालाँकि राज्य-सरकार द्वारा ऐसा करना गैरकानूनी है, क्योकि केंद्र-सरकार भी इसका एक हिस्सा है. और ठीक इसके बाद मैतेई समुदाय को STआरक्षण देने के सम्बन्ध में हाई कोर्ट का ‘डायरेक्शन’ आ गया.कुकी समुदाय को बहुत पहले से ही ‘अफीम पैदा करने वाला’, ‘असभ्य’, ‘म्यामार से आये घुसपैठिये’ कह कर अपमानित किया जाता रहा है. और यह बात कई बार स्वयं मुख्यमंत्री बिरेन्द्र सिंह की तरफ से भी कही गयी. कुकी समुदाय को बार-बार NRC की धमकी भी दी जाती रही.कुकी समुदाय ने इन सब के ख़िलाफ़ एक शान्ति मार्च 3 मई को निकाला. और 3 मई को ही एक फेक वीडियो बड़ी तेज़ी से वायरल होने लगा कि कुकी समुदाय के कुछ लोगों ने मैतेई समुदाय की एक महिला से बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी. सरकार ने ना ही इस फेक वाइरल वीडियो को रोकने का काम किया, न ही यह स्पष्ट किया कि यह विडियो फेक है. और फिर 4 मई को वह वीभत्स घटना घटी जिसने हम सबकी रूह को लहूलुहान कर दिया.

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Author: cnindia

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