अमेठी। जल बिरादरी की ओर से क्षेत्रीय जनता के साथ उत्तर रेलवे द्वारा रेलवे लाइन के बगल में लगाये गये रेलवे बोर्ड, जिस पर ठेंगहा नाला लिखा गया है जिसको लेकर परस्पर विस्तृत चर्चा की गई। उपस्थिति सभी ने गम्भीर चिंता व्यक्त की।
अमेठी जल बिरादरी अध्यक्ष पर्यावरणविद् डॉ अर्जुन पाण्डेय ने बताया कि जनपद अमेठी में गोमती नदी, जो उत्तर पूर्व मे जनपद के कुछ एरिया को कबर कर पाती है। जनपद की भूगर्भिक संरचना में इन्ही दोनों नदियों मालती एवं उज्जयिनी की भूमिका सर्वाधिक रही,जो अपनी सहायक धाराओं के साथ आज के तीन दशक पूर्व साल भर बहती रहती थीं,आज सूखी पड़ी है , जहां वर्षा के समय कहीं पानी मिलता भी है उसे जलकुंभी ने घेर रखा है। नदियों में जबरदस्त गाद जमा हो चुका है। ऐसी दशा में नदियों को नाला बना दिया जाना नदियों के साथ खिलवाड़ करना है।आज नदी एवं नाले के फर्क को समझना होगा। इस समस्या से निजात पाने के लिए उत्तर रेलवे प्रशासन के साथ शासन-प्रशासन को ज्ञापन दिया जाय। जिससे ठेंगहा नाला के स्थान पर मालती नदी को अपना नाम मिल सके। मालती नदी पर ठेंगहा में बने सेतु को राम सेतु कहते रहें हैं। इस स्थान को रामघाट के नाम से आज भी जाना जाता है। मालती नदी को उसका नाम वापस दिलाये जाने लिए अमेठी जल बिरादरी आर- पार की लड़ाई लड़ेगी। इस मौके पर राघवेन्द्र प्रताप सिंह, जय प्रकाश द्विवेदी, शिव प्रसाद तिवारी, लाल अंकुश सिंह,अजय कुमार प्रजापति, संजय सिंह, आषुतोष मिश्र आदि लोग उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि राम वन गमन के समय भगवान श्रीराम, लक्ष्मण एव सीता जी राम घाट ठेगहा मालती नदी के किनारे रात्रि प्रवास किए। लेकिन मालती नदी का नाम अब ठेगहा नाला सरकारी अभिलेख मे अंकित है। मालती नदी पर बने राम घाट के जीर्णोद्धार के प्रति उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार सजग नही है। भगवान श्री राम को भुलाने के लिए प्रशासन ने मालती नदी को हजम कर लिया। अब मालती नदी के नाम वापसी के लड़ाई तेज हो रही है। लेकिन राम घाट ठेगहा को लेकर सासद स्मृति जुबिन ईरानी,विधायक महराजी देवी प्रजापति,एम एल सी गोविन्द नारायण शुक्ल उर्फ राजा बाबू,एम एल सी शैलेन्द्र प्रताप सिंह,एम एल सी ध्रुव नारायण मणि त्रिपाठी आदि भगवान श्री राम के नाम पर सोच बदलने को राजी नही है। अखिर कब तक नही सोचेगे। जनता एक सुनने को मजबूर कर देगी। क्योकि जल ही कल की लड़ाई अब चलेगी।