विधानसभा के मानसून सत्र में भाजपा ने अपने विधायकों को ज्यादा तारांकित प्रश्न न लगाने का फरमान सुनाया गया है। सत्र में सत्तारूढ़ दल के विधायक क्षेत्र की समस्या और शिकायतों के समाधान के लिए अधिक से अधिक अतारांकित प्रश्न ही लगा सकेंगे। मानसून सत्र 7 से 11 अगस्त तक होगा। मानसून सत्र को सदन में चर्चा के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
UP : भाजपा विधायकों को फरमान- ज्यादा तारांकित प्रश्न न लगाएं, सात अगस्त से शुरू होगा मानसून सविधानसभा के मानसून सत्र में भाजपा ने अपने विधायकों को ज्यादा तारांकित प्रश्न न लगाने का फरमान सुनाया गया है। सत्र में सत्तारूढ़ दल के विधायक क्षेत्र की समस्या और शिकायतों के समाधान के लिए अधिक से अधिक अतारांकित प्रश्न ही लगा सकेंगे। मानसून सत्र 7 से 11 अगस्त तक होगा। मानसून सत्र को सदन में चर्चा के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।एक तरफ सरकार अपनी उपलब्धियां सदन में पेश करेगी। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष सदन में सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश करेगा। ऐसे में सत्तारूढ़ दल सदन में ऐसा कोई जोखिम नहीं लेना चाहता है जिससे विपक्ष को मुद्दा मिले। लिहाजा पार्टी के विधायकों को संदेश दिया गया है कि ज्यादा तारांकित प्रश्न नहीं लगाएं। यदि किसी विभाग से जुड़ी कोई खास समस्या है तो संबंधित मंत्री या संसदीय कार्य मंत्री से बातकर उसका हल निकालें।तारांकित प्रश्न के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर संबंधित विधायक या विपक्षी दल के विधायक सरकार से पूरक प्रश्न पूछते हैं। पूरक प्रश्न का जवाब नहीं दे पाने पर विपक्ष की ओर से सदन में सरकार को घेरा जाता है। कई बार विपक्ष सदन का बर्हिगमन करता है। सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण होने के चलते इससे जनता में संबंधित मंत्रालय के प्रति गलत संदेश जाता है। 18वीं विधानसभा के पहले वर्ष के बजट, मानसून और शीतकालीन सत्र और दूसरे वर्ष में बजट सत्र के दौरान सत्तारूढ़ दल के विधायकों ने बड़ी संख्या में तारांकित प्रश्न लगाए। ऐसे भी मौके आए जब अपने ही विधायकों के सवालों पर सरकार को घिरता देख संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना को दखल देना पड़ा।इसमें केवल नीतिगत विषय से जुड़े सवाल लगाए जाते हैं। प्रश्नकाल में विधायकों के जिन सवालों को शामिल किया जाता है वह तारांकित प्रश्न कहलाते हैं। तारांकित प्रश्न के लिए विधानसभा में विभागवार दिन तय है। एक दिन में अधिकतम 20 तारांकित प्रश्न लगते हैं। प्रश्न पर संबंधित विभाग के मंत्री, संसदीय कार्य मंत्री या मुख्यमत्री को सदन में जवाब पेश करना होता है।अतारांकित प्रश्न वह विधायकों के वह सवाल हैं जो वह अपने क्षेत्र के विकास और समस्याओं के समाधान के लिए लगाते हैं। लेकिन संबंधित मंत्री को सदन में उसका जवाब नहीं देना होता है। प्रश्न का जवाब सीधे विधानसभा की वेबसाइट पर अपलोड होता है या संबंधित विधायक को भेज दिया जाता है।