पंडित कुमार विश्वास शर्मा अपने सजातीय नेता पंडित अटल बिहारी वाजपेयी को अपना आदर्श और धरती पुत्र मानते हैं। आइये बताता हूं वाजपेयी के रहस्यों को। ग्वालियर राजघराने में पुरोहितगिरी करते थे अटल बिहारी वाजपेयी के पिता। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी का नाम भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी और माधवराव सिंधिया व वसुंधरा राजे की माता महारानी विजया राजे सिंधिया से विवादित रूप से जुड़ा था।अटल बिहारी वाजपेयी पर शायद 1944 में अंग्रेजों के मुखबिर होने का आरोप लगा था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) व जनसंघ के नेता बलराज मधोक ने अपनी किताब ‘जिंदगी का सफ़र-3’ में लिखा है कि, “मुझे जनसंघ के वरिष्ठ नेता जगदीश माथुर ने बताया था कि अटल अपने 33 राजेन्द्र प्रसाद स्थित आवास में रात को रोज नयी नयी लड़कियां लेकर आता है। उसने वहां वेश्यालय का अड्डा बना रखा है। जब इस बात की पूछताछ करने के लिए मैंने अटल को अपने कमरे में बुलाया तो वह हिचकिचाने लगा। मैं ने उसे कहा कि तुम विवाह क्यों नहीं कर लेते, इस पर वह हंस कर बात टाल दी।”अटल बिहारी वाजपेयी को वह आवास बतौर सांसद के लिए आवंटित किया गया था। अपने एक साक्षात्कार में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा भी था कि, ‘मैं कुंवारा हूं लेकिन ब्रम्हचारी नहीं।’अटल बिहारी वाजपेयी और उनके पिता ने कभी खेती किसानी नहीं की, कभी बैल गाड़ी नहीं चलायी, कभी हल की मूठ पर हथेली रखकर खेत नहीं जोते, कभी हाथ में फावड़ा नहीं पकड़ा, कभी कुश्ती लड़ने अखाड़े की मिट्टी में नहीं उतरे। जबकि ये सारे काम नेताजी मुलायम सिंह यादव और उनके पूर्वज सदियों से करते आये थे। खेती, गृहस्थी, कुश्ती के साथ साथ नेताजी पढ़ाई करते हुए अध्यापक बने और फिर राजनीति में उतरकर विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री, रक्षामंत्री बने।जबकि अटल बिहारी वाजपेयी पिता की जेजमानी से पलते हुये, राजघराने की मदद से आगे बढ़े, संघ से जुड़े यहां भी उन्हें ब्राम्हण होने का लाभ मिला। जब संसद में पहुंचे तो विपक्ष में होते हुए भी अपने सजातीय नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू की खूब प्रशंसा करने लगे। यह गुण उन्हें रागदरबारी परंपरा से विरासत में मिला था। नेहरू जी भी अपने इस प्रशंसक पर विशेष प्रेम दिखाया और भविष्य में इन्हें प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया। वाजपेई ने इंदिरा गांधी को दुर्गा कहकर प्रशंसा की। यही कारण था इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान सारे विपक्षी नेताओं को जेल में बंद किया लेकिन अटल जी की दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराकर सहूलियत दी।पंडित कुमार विश्वास शर्मा के ब्राह्मण प्रेम ने पंडित अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित इंदिरा गांधी को जमीनी नेता मानना और मुलायम सिंह यादव जैसे गरीब, किसान, पिछड़े परिवार में पैदा हुए नेता को एजेंसी का नेता कहना कहां तक उचित है?इसी भांट विश्वासघाती कवि को कुछ महीने पहले मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव की मौजूदगी में मुख्य अतिथि बनाकर प्रोफेसर रामगोपाल यादव की पुस्तक ‘राजनीति के उस पार’ का विमोचन कराया गया था। ऐसे अवसरवादियों को इतना सम्मान देना उचित नहीं है। अब समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव को इस पर ध्यान देना चाहिए।