मैं यह स्वीकार करता हूं कि ‘मन की बात’ का 103वां कार्यक्रम मैं नहीं सुन पाया। लेकिन धन्यवाद देना चाहता हूं दरबारी मीडिया को कि उन्होंने इस कार्यक्रम में राष्ट्रहित से जुड़े एक मुद्दे पर तीखी आलोचना कर दी और इस कारण यह बात वंचित लोगों तक भी पहुंच रही है। पीएम मोदी द्वारा किया गया मन की बात कार्यक्रम बहुआयामी होता है। यह कि आप कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हों अथवा शिक्षा, विज्ञान, वाणिज्य के क्षेत्र से, यह कार्यक्रम सुनकर आपको ऐसा कदापि नहीं लगेगा कि आपने अपने रविवार के एक दिन में से आधे घंटे या 40 मिनट बर्बाद कर लिए हैं। हां इतना कह सकता हूं, आप नहीं सुने तो इसका मलाल अवश्य होगा, जब आप इसको बाद में सुनेंगे। हर बात पर रोटी को हथियार बनाकर राष्ट्रहित के किसी कार्यक्रम का विरोध करने वाले वामपंथियों के लिए यह अच्छा अवसर है। क्योंकि इस कार्यक्रम से आमजन को कोई निजी लाभ नहीं होगा। हाँ इतना अवश्य है कि रोटी खाते और देश में सुरक्षित आश्रय का लाभ लेते हुए देश के करोड़ों नागरिकों के मन में, अपने देश के प्रति आभार प्रकट करने की इच्छा रहती है। उन्हें इस स्वतंत्रता दिवस एक अच्छा अवसर मिल रहा है। इसमें कोई आर्थिक हानि भी नहीं है। पीएम मोदी ने अपील किया है कि हाथ में देश की माटी लेकर ‘पंचप्राण’ का शपथ लेते हुए अपनी सेल्फी ‘युवा डॉट कॉम डॉट इन’ वेबसाइट पर अपलोड करें। जिस मिट्टी में राष्ट्र रक्षार्थ न जाने कितने सैनिक आत्मसमर्पित हो चुके हैं।भारत के पास अब अपना राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बन चुका है। इस स्मारक के समीप शहीद वीर-वीरांगनाओं के सम्मान में अमृत वाटिका का निर्माण किया जाएगा। यह अमृत वाटिका ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का बहुत भव्य प्रतीक बनेगा। इस अमृत वाटिका के निर्माण के लिए देश के गांव-गांव से कोने कोने से 7500 गमलों में मिट्टी देश की राजधानी दिल्ली लाई जाएगी। यह यात्रा अमृत कलश यात्रा होगी। साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों से पौधे लेकर भी इससे अमृत वाटिका तैयार किया जाएगा।राष्ट्रहित में जितने भी अपील पीएम मोदी ने आज तक किए हैं, देश ने उन्हें हाथों-हाथ स्वीकार किया है। यह कार्यक्रम भी निश्चित रूप से बड़ा भव्य होने वाला है। इस बात का पूरा अंदाजा राष्ट्रविरोधी तबके को है। इसलिए वे बार-बार विरोध में आते हैं, मोदी जी के कहे बात को गंभीरता से लेते हैं। क्योंकि उन्हें पता है को-रोना के समय मोदी जी ने शंख, घंटी, थाली, ताली आदि से, को-रोना से लड़ रहे योद्धाओं के लिए स्वागत का अपील किया था। लोगों ने यह अपील हाथों हाथ ले लिया था। अन्य भी तमाम कार्यक्रम हुए, चाहे जनता कर्फ्यू की हो अथवा हर घर तिरंगा। यदि मोदी जी की कही बातें देश गंभीरता से लेना बंद कर दे, तो विरोधी तबका भी उस पर चर्चा निश्चित नहीं करेगा। क्योंकि चर्चा किसी भी प्रकार से आखिरकार एक प्रचार के रूप में ही तय हो जाता है। इससे निजी दिनचर्या में सघन रूप से व्यस्त लोग भी ऐसे तमाम मुद्दों से अवगत हो जाते हैं। जय हिंद।