बाराबंकी। पूरी दुनिया में इस समय जो सबसे बड़ी समस्या है वो पर्यावरण संरक्षण को लेकर है। जिसमें जहां देश के यशस्वी प्रधानमंत्री दुनिया को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे है तो वहीं जनपद में भी पर्यावरण संरक्षण की मुहिम में बंकी खण्ड विकास में तैनात एडीओ आईएसपी व ग्राम विकास अधिकारी संघ के जिलाध्यक्ष अजीत प्रताप सिंह के प्रयास मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। जो सिगंल यूज प्लास्टिक के उपयोग को रोकने के प्रयास में न सिर्फ लोगों को शपथ दिला रहे हैं कि वे प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे बल्कि इसके लिए स्वयं सिलवाकर कपड़े के दो-दो झोले भी देते है। यहीं नहीं वृक्षारोपण में भी 2004 से लेकर अब तक सैकड़ों वृक्षों का न सिर्फ रोपण किया बल्कि उसकी देखभाल भी बकायदा स्वयं ही करते हैं। प्रति वर्ष वो सैकड़ों लोगों को पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिला रहे हैं जो वाकई ग्लोबल वार्मिग के खतरे को टालने में मील का पत्थर साबित होगा।
पर्यावरण संरक्षण को लेकर जानकारी देते हुए जनपद के पर्यावरण संरक्षण के अपने अथक प्रयासों से आईकान बन चुके ग्राम विकास अधिकारी अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि पूरी दुनिया में इस समय सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण संरक्षण को लेकर है। हवा की शुद्धता जो 40 से 50 के बीच अधिकतम सीमा होनी चाहिए वृ़क्षों की अंधाधंुध कटान और बढते जा रहे कार्बनडाईआक्साईड व मिथेन के दबाव के चलते जनपद में अक्टूबर नवबंर में 200 से 250 एक्यूआई पहुंच चुकी है जो लखनऊ, कानपुर व देश की राजधानी दिल्ली मे 600 एक्यूआई से और भी अधिक हो जाती है। दूसरी तरफ सिंगल यूज्ड प्लास्टिक जिसको नष्ट होने में सौ वर्ष लग जाते है भी अपने देश के पर्यावरण संरक्षण को लेकर बड़ी समस्या बन गई है जो मिटटी से लेकर पानी निकास सभी स्थानों को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पेयजल के अशुद्ध होने की समस्या तो इतनी विकट हो चुकी है कि जमीन के नीचे पानी की दो लेयर अशुद्ध हो चुकी हैं यानी इण्डियन मार्का हैण्डपम्प जो 100-150 फिट के करीब से पानी उठाता है उसमें अशुद्ध पानी आ रहा है। जिसके लिए शौचालयों का पानी सीधे नीचे उतार देना से लेकर खेती में तमाम कीटनाशक दवाओं का प्रयोग व फैक्ट्रीओं द्वारा अशुद्ध पानी को जमीन में नीचे बोर कर उतारना आदि प्रमुख वजहें हैं जिसपर तमाम नियम कानून रोक नहीं लगा पा रहे है।
वीडीओ अजीत प्रताप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि उनको पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणाा उत्तराखण्ड की यात्रा दौरान मिली थी जहां 2003 में सिंगल यूज प्लास्टिक पूरी तरह बैन थी और लोग स्वयं भी इसके प्रति जागरूक थे। लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारित्रा में स्नातक व विधि स्नातक अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में ही पर्यावरण संरक्षण को अपना लिया है जिसमें जहां वो पानी बचाने के प्रयास में उनके दुरूपयोग पर अंकुश लगाने का अथक प्रयास कर कार भी बजाए पानी से धोने के कपड़ा भिगों कर साथ करते हैं बल्कि बागवानी सहित दूसरे पर्यावरण संरक्षण संबंधी रोजाना के प्रयास उनकी जीवन शैली में शामिल हो चुकी है। जिसको लेकर उन्होंने वाक्या बताया कि वर्ष 2022 में लखनऊ के गोमतीनगर रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर छह पर पानी का नल लीक कर रहा था तो उन्होंने इसको लेकर लोकल अथारटी से लेकर दिल्ली के उच्चाधिकारियों से शिकायत कर उसे जब तक ठीक नही ंकरवा लिया चैन नहीं लिया। उनकी कार की डिक्की में कपड़े के वितरण के लिए झोले के साथ-साथ पानी के नल भी रहते हैं कि अगर कहीं पानी लीक होता मिला तो स्वय ही उसे बदल कर ठीक कर पानी व्यर्थ होने से बचाने का प्रयास करते हैं।
पेड़ लगाएं-पानी बचाएं-दूध के लिए मवेशी पालंे, खाने के लिए नहीं: अजीत
बाराबंकी। पर्यावरण संरक्षण की अलख जनपद सहित पूरे सूबे में जगा रहे एडीओ आईएसपी अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि प्रति परिवार कम से कम 50 पेड़े होने चाहिए जो अंधाधंुध कटान में 05 के नीचे पहुंच गया है इसके लिए फलदार व ऐसे वृक्ष न सिर्फ लगाएं बल्कि उनकी देखभाल भी बड़े होने तक करें ताकि वातावरण में आक्सीजन का स्तर बढ़ सके व कार्बन सहित मिथेन जो जानवर उत्सर्जित करते हैं उसका स्तर कम हो। जिससे ग्लोबल वार्मिंग जो सबसे बड़ा खतरा है उससे दुनिया सुरक्षित हो पाएगी। वहीं उन्होने बताया कि जैसे इंसान कार्बन डाईआक्साइड का उत्सर्जन करता है वैसे ही जानवर मिथेन गैस का उत्सर्जन करते हैं। इसलिए मांसाहार के लिए जानवरों को पालना भी पर्यावरण संरक्षण के मार्ग में बड़ी बाधा है। वहीं श्री सिंह लोगों को आर्गेनिक खेती करने के लिए भी जागरूक करते है जिससे जमीन के नीचे का पानी भी सुरक्षित व पीने योग हो पाए। बताते चलें कि आवाम को ही नहीं जिम्मेदारों जिसमें जिले के डीएम से लेकर सूबे के अधिकारी भी शामिल हैं तक अपनी मुहिम पहुंचाने में इन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। तो तमाम प्रतिष्ठित अखबारों ने भी इनकी मुहिम को प्रकाशित कर इसे आवाम तक पहुंचाने में योगदान दिया।
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