भाजपा: डॉ बाराबंकी। 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती के मामले में उच्च न्यायलय की लखनऊ पीठ के निर्णय के बाद यह बात साबित हो गयी है कि भाजपा सरकार नौजवानों के भविष्य के साथ खेल रही है यह सरकार आरक्षण विरोधी है। जो अधिकार पिछड़ों और दलितों को संविाधान से मिले हुये हैं, भाजपा सरकार उनकों छीनने का काम कर रही है। न्यायालय के फैसले का स्वागत है। इस फैसले से भाजपा का आरक्षण विरोधी चेहरा उजागर हो गया है।सरकार नयी सूची न्यायलय द्वारा दी गयी समय अवधि में आरक्षण व बेसिक शिक्षा नियमावली का पालन करते हुये शीघ्र ही शिक्षकों की भर्ती की जारी करें।
उक्त प्रतिक्रिया पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व चेयरमैन डा0 पी0एल0 पुनिया ने आज प्रदेश के 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के मामले में उच्च न्यायालय के फैसले जिसमें उसकी लखनऊ बंेंच द्वारा शिक्षक भर्ती के फैसले को निरस्त करते हुये तीन माह में नई सूची बनाने के निर्देश दिये हैं, उसपर व्यक्त की। पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व चेयरमैन डा0 पी0एल0 पुनिया ने कहा कि, उत्तर प्रदेश सरकार ने सन् 2018 में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला था जिसमें 2019 में 4 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी और उसमें एक लाख सैंतालिस हजार अभ्यर्थी पास हुये थे। जिसमें आरक्षित वर्ग के 1 लाख 10 हजार अभ्यर्थी थे। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ की डबल बेंच ने 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की पूरी मेरिट लिस्ट को रद्द करके तीन माह में उत्तर प्रदेश सरकार को शिक्षकों की भर्ती की नई सूची जारी करने के निर्देश दिये हैं।