श्रीकृष्ण षष्ठी के उपलक्ष्य में एक विशाल काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन
मसौली, बाराबंकी। शिव गंगा साहित्य सेवा समिति मसौली के तत्वावधान में शिव गंगा मैरेज लान मसौली में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर एवं श्रीकृष्ण षष्ठी के उपलक्ष्य में एक विशाल काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे लगभग पचास कवियों ने काव्यपाठ किया।
शिव गंगा साहित्य सेवा समिति के अध्यक्ष राजकुमार सोनी ने सबका स्वागत किया। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डा. ब्रज किशोर पांडेय ने कहा कि श्रीकृष्ण का जीवन हमे सौंदर्य और संघर्ष के बीच समन्वय स्थापित करने की शक्ति प्रदान करता है। कार्यक्रम का संचालन रवि अवस्थी ने तथा आभार डा. राजेश कुमार व्यक्त किया।
कवयित्री किरण भरद्वाज द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से काव्यगोष्ठी प्रारंभ हुई। ओज कवि शिव कुमार व्यास ने पढ़ा ष् हर युग का है अंत यही रावण को मिटना पड़ता है, युग के बाल्मीकि को तब रामायण लिखना पड़ता है।ष् डा. अंबरीष अम्बर ने पढ़ा ष्जब इंद्र पयोद नीराने लगे तब व्योम सा छाता हुआ सबका। हतभाग्य भले ही रहा खुद में पर भाग्य विधाता हुआ सबका।ष् कवयित्री लता श्रीवास्तव में पढ़ा ष्मेरे कान्हा मनमोहन कब गोकुल आओगे, साथ हमारे आकार तुम कब रास रचाओगे।ष् नीरज निर्मोही ने पढ़ा ष्भोग सबरी के जैसा परोसा करो, यूं मुकद्दर को नीरज न कोसा करो। आज भी राम नरसिंह बन आयेंगे, भक्त प्रह्लादडा. आलोक शुक्ला ने पढ़ा रास रचैया और नाग नचैया को तातक थैया करा गई राधा।
इसके अतिरिक्त अजय प्रधान, रवि अवस्थी, नागेंद्र सिंह, कुमार पुष्पेंद्र, रामकिशुं यादव, सुनील मिश्रा सागर, अवधराम गुरु, साहब नारायण शर्मा, प्रदीप महाजन, रमेश चंद्र रावत, ध्यान सिंह चिंतन, राजेश कुमार, अनूप एकलव्य, शिवेंद्र सिंह, अजय प्रधान, नागेंद्र सिंह, उपेंद्र सिंह नादान, रणधीर सिंह, आईपी सिंह, अंकिता शुक्ला, संजय संवारा, अजय अटल, राम नरेश यादव, शरद यादव आदि ने काव्य पाठ किया।