भारत में नवाचारों की कमी नही है। यहा टेलेंट की भरमार है। नित नए आइडियाज से लोग सफलता पा रहे है । कचरे से बिजली या फिर खाद बनने के बारे में तो ज्यादातर लोगों को पता होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मुर्गे के पंखों से कपड़े भी बनाए जा सकते है…
शायद नहीं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ही सक्सेस स्टोरी के बारे में बताएंगे, जिसमें कुछ लोगों ने मुर्गे के पंख से कपड़े बनाकर करोड़ों की इंडस्ट्री खड़ी कर दी है.
कॉलेज में आया था आइडिया
जयपुर के रहने वाले मुदिता और राधेश ने यह बिजनेस शुरू किया है. इन दोनों को ही ये आइडिया कॉलेज में आया था, जिसके बाद उन दोनों ने मिलकर यह बिजनेस शुरू किया और करोड़ों का कारोबार खड़ा कर दिया है. आज इनकी कंपनी का टर्नओवर काफी ज्यादा है.
कितना है कंपनी का टर्नओवर?
इन लोगों ने अपनी कंपनी का नाम मुदिता एंड राधेश प्राइवेट लिमिटेड रखा है. राधेश बताते हैं कि उन्होंने इस काम को 16,000 रुपये से शुरू किया था, लेकिन अब उनकी कंपनी करोड़ों का कारोबार कर रही है. पिछले ढाई साल में कंपनी ने 7 करोड़ का कारोबार किया है और वर्तमान में टर्नओवर की बात की जाए तो वह 2.5 करोड़ है.
8 साल का लगा समय
इन दोनों लोगों को करीब 8 साल का समय लगा है अपना खुद का फैब्रिक बनाकर तैयार करने में… यह दोनों ही साल 2010 से यह कारोबार कर रहे हैं और 2018 में आकर उन्होंने इस काम को पूरा कर लिया है. इसके पीछे उन्होंने काफी मेहनत की और काफी रिसर्च के बाद में कचरे से कपड़ा बना लिया है.
विदेशों में है बड़ी डिमांड
मुदिता ने मीडिया को बताया कि अभी उनके पास बहुत बड़ी संख्या में ग्राहक नहीं है क्योंकि इस समय भारत में लोग मुर्गे के पंख से बने फैब्रिक का इस्तेमाल करने से काफी बचते हैं, लेकिन विदेशों में इसकी काफी डिमांड है. इस फैब्रिक से बने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल विदेश में किया जाता है.
बुनकर के हाथो हो रहा तैयार
जयपुर स्थित असनावर में 1200 बुनकर मुर्गे के पंख से कपड़ा बनाने का काम हो रहा हैं। इन बुनकरों को एक महीने में 8000 से 12000 रुपये तक मिलते है। ज्यादातर कंपनियां समय और पैसे की बचत के कारण मशीनों पर शिफ्ट हो चुकी हैं, लेकिन मुदिता और राधेश का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा बुनकरों को अपने साथ जोडना है।