22 दिसंबर की रात सबसे लंबी होगी और दिन सबसे छोटा होगा. 22 दिसंबर से दिन कि लंबाई बढ़ने का सिलसिला शुरू हो जाएगा और 21 जून तक चलेगा. धरती पर सबसे छोटे दिन को विंटर सॉल्सटिस (Winter solstice) भी कहा जाता है. आईए जानते हैं क्या है इसके पीछे की पूरी कहानी..
सोलस्टिक एक खगोलीय घटना
सोल्सटिस एक खगोलीय घटना है, जो कि दो बार, एक गर्मियों में और एक बार सर्दियों में होती है. हर साल सूर्य को जब उत्तर या दक्षिण ध्रुव से देखा जाता है तो साल का सबसे बड़ा दिन 21 जून होता है. इस दिन सूर्य की किरण ज्यादा देर तक रहती है और 23 दिसम्बर साल का सबसे छोटा दिन होता है, क्योकि इस दिन सूर्य की किरण पृथ्वी पर कम समय के लिए रहती है. ये साल के वो दिन होते हैं, जिसमें दिन और रात की लंबाई में सर्वाधिक अंतर होता है. यह एक खगोलीय सामान्य घटना है, जो हर वर्ष होती है. खगोलविदों के लिए यह काफी खास है.
दुनिया के एक इलाके में सबसे लंबा दिन, दूसरे में सबसे छोटा दिन
Winter Solstice के समय दक्षिणी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें ज्यादा पड़ती हैं, तो वहीं उत्तरी गोलार्द्ध में कम. इसकी वजह से उत्तरी गोलार्द्ध में रात लंबी होती है और दिन छोटा. दक्षिणी गोलार्ध में आज के दिन सूर्य सबसे ज्यादा देर तक रहता है और इस इलाके में पड़ने वाले देशों में आज के दिन सबसे बड़ा दिन होता है. अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में आज से गर्मी की शुरुआत हो जाती है.
धरती की पोजिशन की वजह से एक इलाके में आज के दिन सबसे बड़ा दिन होता है, तो दूसरे इलाके में सबसे छोटा दिन. दूसरे ग्रहों की तरह पृथ्वी भी 23.5 डिग्री पर झूकी हुई है. झुके हुए अक्ष पर पृथ्वी के घूमने से सूर्य की किरणें एक जगह अधिक और दूसरी जगह कम पड़ती हैं.