देश में सोने और जमीन-जायदाद में निवेश के बजाय अब म्यूचुअल फंड जैसे वित्तीय संस्थानों में बचत की प्रवृत्ति बढ़ी है और इसके साथ प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों के अगले पांच साल में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के करीब तीन-चौथाई यानी 74 प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान है. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में पहली बार हमारी कुल घरेलू बचत का आधे से ज्यादा (52.5%) हिस्सा वित्तीय उत्पाद में निवेश हुआ.रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक इकाई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि निरपेक्ष रूप से कोष प्रबंधन से जुड़े उद्योग के प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां 2026-27 तक 315 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है, जो 2021-22 में 135 लाख करोड़ रुपये थीं. लंबे समय से नीति निर्माता यह चाहते रहे हैं कि लोग सोने और जमीन, मकान जैसी भौतिक संपत्तियों में निवेश के बजाय म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, इक्विटी शेयर जैसे वित्तीय उत्पादों में निवेश करे
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ साल से अतिरिक्त नकदी के साथ बॉन्ड और शेयर बाजारों में तेजी रही है. इससे वित्तीयकरण यानी लोगों के वित्तीय संस्थानों से जुड़ने और वित्तीय उत्पादों में निवेश को लेकर आकर्षण बढ़ा है. इसमें आगाह करते हुए यह भी कहा गया है कि वित्तीय बाजारों या नकदी के स्तर पर लंबे समय तक रहने वाली बाधाएं निवेशकों के अनुभव को प्रभावित कर सकती हैं.
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के प्रमुख आशीष वोरा ने कहा, पिछले पांच वित्त वर्षों में निवेश परिदृश्य में काफी कुछ हुआ है. हालांकि, क्षेत्र की क्षमता और विकसित देशों में ऐसी संपत्तियों में वृद्धि को देखते हुए कहा जा सकता है, अभी इसे लंबा सफर तय करना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय समावेशन, डिजिटलीकरण, मध्यम वर्ग की खर्च योग्य आय में वृद्धि की प्रवृत्ति और इन उत्पादों पर सरकारी प्रोत्साहनों से क्षेत्र को बढ़ावा मिला है.
कंपनी के वरिष्ठ निदेशक जीजू विद्याधरन ने कहा कि इन उत्पादों की दूरदराज के क्षेत्रों तक पैठ बढ़ाने और वित्तीय जागरूकता बढ़ाने के लिए वितरण के मोर्चे पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. साथ ही इस खंड को पर्याप्त रूप से प्रोत्साहित करना होगा. उन्होंने कहा कि उद्योग को अपने उत्पादों के लिए केवल जागरूकता का प्रसार ही नहीं करना चाहिए, बल्कि लोगों को उनके बारे में शिक्षित करना चाहिए.