बाराबंकी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ज्येष्ठ पौत्र, अहिंसा के पैरोकार और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक अरुण मणिलाल गांधी के निधन पर गांधी भवन में शोकसभा आयोजित हुई। गांधी जयंती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते अरूण मणिलाल गांधी के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। वे वरिष्ठ बुद्धिजीवी एवं लेखक तुषार गांधी के पिता थे।श्री शर्मा ने कहा कि अरूण गांधी का जन्म 14 अप्रैल, 1934 को डरबन, दक्षिण अफ्रीका में हुआ था। उन्होंने पहली बार दक्षिण अफ्रीका में भारतीय प्रवासियों के खिलाफ रंगभेद, भेदभाव और हिंसा का अनुभव किया। वे महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थे। वे 1946 में सेवाग्राम आश्रम में दो साल तक रहे। यहीं पर उन्हें अहिंसा के सिद्धांतों और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बारे में पता चला और बाद में उन्होंने अहिंसा के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने खुद को शांति का बीज बोने वाला किसान बताया।श्री शर्मा ने बताया कि स्व. अरूण गांधी ने भारत और विदेशों में अहिंसा और सामाजिक न्याय के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। उन्होंने गांधी अहिंसा संस्थान की स्थापना की। कुछ समय के लिए एक पत्रकार के रूप में भी काम किया। जब वे अमेरिका के निवासी थे तब भी वे हर साल भारत आते थे। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार सहित विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। महाराष्ट्र स्थित कोल्हापुर से उनका दो दशकों से भी अधिक समय से घनिष्ठ संबंध रहा है। जहां उन्होंने ‘अवनी‘ संस्था की स्थापना की। जिसके माध्यम से वंचित बच्चों को शिक्षा देकर समाज की मुख्यधारा में लाने का काम किया। वे महात्मा गांधी के विचारों के अनुरूप कार्य कर रहे थे।सभा की अध्यक्षता भूतपूर्व विधायक सरवर अली ने की। सभा का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। सभा में मुख्य रूप से सलाहउद्दीन किदवाई, विजय कुमार सिेह, मृत्युंजय शर्मा, विनय कुमार सिंह गुड्डू, सत्यवान वर्मा, धनंजय शर्मा, अशोक जायसवाल, रणंजय शर्मा, नीरज दुबे सहित कई लोग उपस्थित रहे।