हिंदुत्व के प्रति इन दोनों नेताओं का समर्पण जब आप देखेंगे तो दांतों तले उंगली दबा लेंगे। कसम से। पहली बात तो यही है कि जिस गांजे के साथ ये पकड़े गए थे, वह गांजा एक ऐसा पदार्थ है, जिसकी हिंदुत्व में बहुत अहमियत है। मेरे प्यारे भोलेबाबा को ये पदार्थ बहुत पसंद है। इतना कि कुछ धूर्त गंजेड़ी तो गांजे को भोलेनाथ का प्रसाद तक कह देते हैं। दूसरी बात, दोनों महान बजरंगदलियों के पास जो गांजा बरामद हुआ, उसका वजन 21 किलोग्राम और 900 ग्राम निकला। अहा, कितना शुभ है 21 अंक। उससे भी ज्यादा शुभ है 9 का अंक। नौवीं तिथि मधुमास पुनीता गांजे का वजन बता रहा है कि तस्करी के बहाने ही सही, सेवा तो हिंदुत्व की ही हो रही थी। प्रार्थी अगर धरपकड़ करने वाले जीआरपी और आरपीएफ के सिपाहियों की टोली में शामिल होता तो गांजे का वजन देखकर ही बजरंग दल के दोनों नेताओं को छोड़ देता कि जाओ प्यारे, करते रहो हिंदुत्व की सेवा। उस समय तो प्रार्थी की आंखें ही नम हो गईं, जब पता चला कि बरामद हुए गांजे का बाजारभाव दो लाख 51 हजार रुपए है। बार एक पंडित जी ने राहु के प्रकोप से बचने के लिए प्रार्थी को फिफ्टीवन सटर्डेज का फास्ट करने की नसीहत दी थी। दोस्तो, 51 की संख्या भी हिंदुत्व में बेहद पवित्र होती है। कुल मिलाकर बजरंग दल के दोनों नेताओं की एक-एक हरकत हिंदुत्व को मजबूत करने वाली थी, फिर भी दुष्ट सिपाहियों ने उन्हें पकड़ लिया। हिंदुत्व की सेवा में अड़ंगा लगाने वालों को सजा मिलनी चाहिए। साथ ही यह मुनादी करा दी जानी चाहिए कि बजरंगदलियों को गांजे की तस्करी करने से कोई नहीं रोकेगा। जब परम पूज्य प्रधानमंत्री जी बजरंग बली और बजरंगदलियों को एक ही चीज मानते हैं, तब बजरंगदलियों को विशेष अधिकार तो मिलने ही चाहिए।