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23/11/2024 1:49 am

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भगवान् राम का चरित्र सर्वथा अनुकरणीय है, उनकी लीला का अनुकरण करो तो भगवान मिलेंगे।

भागवत महापुराण में मुख्य कथा भगवान श्री कृष्ण की है, फिर भी भगवान श्री राम के आगमन के पश्चात् ही भगवान श्री कृष्ण का आगमन होता है।जिसके घर में रामजी नहीं आते हैं, उसके राक्षस रूपी काम का नाश नहीं होता और जब तक काम रूपी राक्षस नहीं मरता , तब तक श्री कृष्ण नहीं आते हैं।इस काम रूपी राक्षस को ही मारना है। आप चाहें किसी भी सम्प्रदाय के हों, जब तक आप राम जी की मर्यादा का पालन नहीं करेंगे, आनंद नहीं मिलेगा।मनुष्य को थोड़ा सा धन-संपत्ति मिलते ही मर्यादा को भूल जाता है।
राम जी का माता प्रेम, पिता प्रेम, भाई प्रेम, एक पत्नी व्रत आदि सभी कुछ जीवन में उतारने योग्य है।श्री कृष्ण जो करते थे वही सब कुछ करना क्या हमारे लिए संभव है उन्होंने तो कालिया नाग को वश में करके उसके सिर पर नृत्य किया था।
गोवर्धन पर्वत को भी उंगली पर उठा लिया था, क्या हम कर पायेगें श्री कृष्ण का अनुसरण करना है तो पूतना चरित्र से प्रारंभ करना है।पूतना का सारा विष उन्होंने पी लिया था, विष का पाचन होने के पश्चात् अन्य सभी लीला का अनुकरण करना है। भगवान रामचंद्र ने अपना एश्वर्य छिपाया था और मनुष्य का रूप धारण कर लीला दिखाई। साधक का आदर्श कैसा होना चाहिए वह राम जी ने बताया है। राम जी का अवतार राक्षसों की हत्या हेतु नहीं, मनुष्यों को मानव-कर्म सिखाने हेतु हुआ था। राम जी की लीला सरल है, उनकी बाल लीला भी सरल है, जबकि श्री कृष्ण की सारी लीला गहन है। जब तक हम श्री कृष्ण की लीलाओं का चिंतन नहीं करंगे तब तक उनकी लीलाओं को समझ पाना आसान नहीं हैं।
श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।
और श्री कृष्ण पूर्ण पुरुषोत्तम परम भगवान् हैं।
श्री कृष्ण माखन चोर हैं अर्थात मृदु मन के चोर हैं, वे सर्वस्व ही माँगते हैं।
राम जी का नाम जैसा सरल है वैसा ही उसका कार्य, उसकी लीला भी सरल है।
राम जी के नाम में एक भी संयुक्त अक्षर नहीं हैं, श्री कृष्ण के नाम में एक भी अक्षर सरल नही हैं, सभी संयुक्ताक्षर ही हैं।
श्री राम दोपहर को बारह बजे आये थे तो श्री कृष्ण रात को बारह बजे। एक मध्याह्न में आये तो दूसरे मध्य रात्री को, एक राजा दशरथ के महल में अवतरित हुए तथा दूसरे कंस के कारागृह में।
राम जी को पहचानना-समझना सरल है… किन्तु कृष्ण को समझना बड़ा कठिन है।
किन्तु राम जी की मर्यादा को जीवन में उतारना बड़ा कठिन है। रामचंद्र मर्यादा हैं तो श्री कृष्ण प्रेम, मर्यादा और प्रेम को जीवन में उतारकर सभी जीव सुख शांति से रह सकते हैं।

 

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Author: cnindia

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