अजमेर उत्तर अथवा पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने के लिए लालायित राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने 6 जून को स्थानीय समाचार पत्रों में खबर छपवाई है कि अजमेर की पेयजल समस्या के स्थायी समाधान के लिए पांच जून को जयपुर में जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव सुबोध अग्रवाल के साथ बैठक की। इस बैठक में 267 करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत करवाई गई। राठौड़ ने यह भी दावा किया कि पेयजल समस्या को लेकर अजमेर से भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने उनसे आग्रह किया था। शहरवासियों की परेशानी को देखते हुए ही उन्होंने अपने स्तर पर प्रयास कर 267 करोड़ रुपए मंजूर करवाए हैं। इससे बीसलपुर की पाइप लाइन से लेकर शहर में पेयजल वितरण स्थिति को सुदृढ़ किया जाएगा। राठौड़ का दावा रहा कि टेंडर स्वीकृत हो रहे हैं और जल्द ही काम शुरू होगा। उन्होंने कहा कि वे अजमेर की समस्याओं को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं। मालूम हो कि इससे पहले राठौड़ ने पुष्कर के विकास के लिए पांच सौ करोड़ रुपए की योजना की जानकारी मीडिया को दी थी। पुष्कर की योजना का क्या हुआ, यह तो ब्रह्माजी ही जानते हैं कि लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि हाल ही में हुई बेमौसम की बरसात का गंदा पानी भी सरोवर में पहुंच गया। गंदा पानी सरोवर में जाने की समस्या पुरानी है। इस समस्या का समाधान न तो भाजपा सरकार में हुआ और न अब कांग्रेस सरकार में हो रहा है। यह सही है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के संरक्षण के कारण धर्मेन्द्र राठौड़ अजमेर जिले के किसी भी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं। लेकिन जिले के लोगों को राठौड़ के दावों की सच्चाई को भी समझना चाहिए। पेयजल समस्या के समाधान के लिए 267 करोड़ रुपए की जिस योजना पर राठौड़ अपना दावा कर रहे हैं उसमें से 186 करोड़ रुपए की राशि केंद्र सरकार की अमृत योजना में स्वीकृत हुई है। इसी प्रकार 64 करोड़ रुपए मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के अनुरूप स्वीकृत हुए हैं। इन 64 करोड़ रुपए में से 32 करोड़ रुपए अजमेर विकास प्राधिकरण ने दिए हैं। मुख्यमंत्री की बजट घोषणा को बड़ा दिखाने के लिए ही प्राधिकरण ने अपनी आवासीय कॉलोनी के विकास कार्य भी मुख्यमंत्री की बजट घोषणा शामिल करवा दिए। यानी 250 करोड़ रुपए तो केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने पहले ही स्वीकृत कर रखे हैं। यदि धर्मेन्द्र राठौड़ कोई प्रयास नहीं भी करते तो अजमेर की पेयजल समस्या के समाधान के लिए 250 करोड़ रुपए खर्च होने ही थे। धर्मेन्द्र राठौड़ अब कितना भी दावा कर ले, लेकिन जलदाय विभाग के इंजीनियर मानते हैं कि स्वीकृत राशि के कार्य अजमेर में जल्द शुरू हो जाएंगे। राज्यों की पेयजल समस्या के समाधान के लिए ही केंद्र ने अमृत योजना बनाई है। इस योजना के अंतर्गत स्वीकृत कार्य पर 60 प्रतिशत की राशि केंद्र सरकार देती है। यानी जो राशि केंद्र सरकार की है उस पर भी धर्मेन्द्र राठौड़ अपना दावा कर रहे हैं। अच्छा होता कि अमृत योजना और मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के अलावा कोई योजना धर्मेन्द्र राठौड़ अपना प्रयासों से स्वीकृत करवाते।