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हिन्दू धर्म की अच्छी बात है यहाँ की विविधता यहाँ सभी प्रकार के देवी देवता, पूजन व्रत हैं. जिसकी जैसी श्रद्धा.

एक लोटा जल चढ़ा दो प्रसन्न होने वाले भोले बाबा हैं. फल फूल भी न चाहिए. सामान्य उगने वाला धतूरा, मदार के फूल, शमी के पत्ते, भांग, कनेर, बेर जो मिल जाये चढ़ा दीजिये भोले बाबा प्रसन्न. सोमनाथ मंदिर चले जाइए जाड़ा गर्मी बरसात सुबह से शाम तक एक लोटा जल, बम भोले. और शिव प्रसन्न. वैरागी हैं तो शिव आपके देवता.वहीं बग़ल में ही द्वारिका है. श्री कृष्ण राजा हैं. पर उन्हें सब बोलते रण छोड़ हैं. और ऐसा बोलने से किसी की भावनायें आहत नहीं होतीं. परिपक्व धर्म है. कृष्ण जी का सुबह से शृंगार होता है. दस बार मंदिर खुलता बंद होता है. विविध भोग लगते हैं. लीला पसंद है तो श्री कृष्ण.यूपी में अयोध्या है. श्री राम. सहज संकोची. अयोध्या में आज भी सबसे विशाल मंदिर कनक भवन है – कैकेयी माता का जिन्होंने श्री राम को बनवास भेजा था. और श्री राम स्वयं एक टेंट में रह रहे हैं. ऐसे ही हैं श्री राम. सहज संकोची. जिनकी पत्नी पर किसी ने प्रश्न उठाया तो उन्होंने उसको बँधवा कर खाल नहीं नुचवाई बल्कि पत्नी को ही अग्नि परीक्षा देनी पड़ी. मर्यादा पुरुषोत्तम.हिंदुत्व एक गुलदस्ता है, सबके लिए कुछ न कुछ है यहाँ.पर मज़हब को देख देख अकस्मात् एक ग्रुप या यूँ कहें कि हम सब में यह भावना आ गई, हर बात पर हमारी भावनायें आहत होने लगती हैं. कुछेक लोग तो इतने आहत वीर हैं कि राम कृष्ण शिव विष्णु सब पर उनकी भावनायें आहत रहती हैं. यह नहीं पता कि अपने धर्म में ऐसे भी संप्रदाय हैं जहां आप विष्णु की पूजा करते हैं पर शिव का नाम लेने पर भी वहाँ बवाल हो जाएगा. ऐसे भी संप्रदाय हैं जो केवल शिव को मानते हैं किसी और को नहीं. ऐसे भी हैं जिन्होंने पूरे शरीर पर श्री राम गुदवा रखा है.सबका स्वागत है, सभी हिंदुत्व का अभिन्न अंग हैं.यह वह धर्म है जिसने आरंभ से ही विविध विचार और उनकी स्वतंत्रता को वरीयता दी.विविध विचारों और समय की गति को enjoy कीजिये. यही हिंदुत्व है.बात बात पर भावनायें आहत होना, फ़तवा जारी कर देना हिंदुत्व नहीं

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Author: cnindia

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