राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है कि प्रदेश की एक करोड़ 31 लाख महिलाओं को दिए जाने वाले स्मार्टफोन के लिए सरकार खरीद की टेंडर प्रक्रिया भी शुरू नहीं कर पाई है। महिलाओं को स्मार्टफोन अप्रैल में दिए जाने थे। अब सीएम गहलोत ने कहा है कि सरकार यदि फोन नहीं खरीद सकती है तो घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि फोन खरीदने के लिए महिलाओं के खाते में पैसे डलवा दिए जाएंगे। सीएम ने यह नहीं बताया कि कितनी राशि खाते में डाली जाएगी, लेकिन यदि एक स्मार्ट फोन की कीमत 15 हजार रुपए मानी जाए तो एक करोड़ 31 लाख फोन के लिए करीब 20 हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी, लेकिन सवाल उठता है कि गहलोत सरकार स्मार्टफोन खरीदने में क्यों विफल रही है? एक और सुशासन का दावा किया जा रहा है, तब फोन की खरीद भी नहीं हो पा रही है। सवाल यह भी है कि जब महिलाएं स्वयं फोन खरीदेंगी तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का फोटो कैसे लगेगा? अभी बिजली के बिल पर भी अशोक गहलोत का फोटो छापा जा रहा है। अब स्मार्टफोन मुफ्त में मिलेगा। तब सीएम का फोटो होना लाजमी है। फोन उन्हीं महिलाओं को मिलेगा जो जन आधार कार्ड में परिवार की मुखिया हैं यदि महिलाएं फोन खरीदेंगी तो अनेक समस्याएं भी होंगी। पहली बात तो बाजार से फोन खरीदने पर पहले भुगतान करना होगा। कोई भी दुकानदार उधार में फोन नहीं देगा। मंशा तो स्मार्टफोन में राज्य सरकार की उपलब्धियों और कल्याणकारी योजनाओं को भरने की भी है, लेकिन जब बाजार से फोन लिया जाएगा तो सरकार का ऐप कैसे डाउनलोड होगा? सीएम गहलोत ने स्मार्टफोन 3 वर्ष के लिए फ्री इंटरनेट देने का भी वादा किया था। फ्री इंटरनेट कैसे मिलेगा ? अभी यह भी नहीं तय है। अब जब विधानसभा चुनाव में मात्र 4 माह रह गए हैं, तब फोन की एवज में नगद राशि देने पर सवाल उठ रहे हैं? क्या किसी सरकार द्वारा 15 हजार की राशि एक करोड़ 31 लाख मतदाताओं को दिया जाना उचित होगा? सवाल यह भी है कि सरकार जब इतने फोन एक साथ खरीदने में असमर्थ है तो फिर घोषणा क्यों की गई? घोषणा के अनुरूप प्रदेश की महिलाएं अप्रैल से ही फोन का इंतजार कर रही है।