कोठी, बाराबंकी। उत्तर प्रदेश में राज्य व केंद्र सरकार द्वारा पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ों की रोपाई प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में की जाती है तो वहीं पर काफी वर्षों से जमे पड़े वन विभाग के ऊंची पहुंच के कर्मचारियों की मिलीभगत से पेडों को काटने में ठेकेदार सफल और मशगूल रहते हैं ठेकेदारों के सामने कभी और किसी समय वन विभाग नतमस्तक होते देखे जाते है।
जानकारी के अनुसार आपको बता दें जहां पर राज्य व केंद्र सरकार पर्यावरण और आम जनमानस सहित जीव जंतुओं को को बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के पेड़ों को धरती पर सजाने का काम करती है। तो वहीं पर उत्तर प्रदेश के जनपद बाराबंकी में वन विभाग की मिलीभगत से आये दिन प्रतिबंधित पेड़ों को धराशाई होते देखा जा रहा है।जानकारी अनुसार मामला जैदपुर थाना क्षेत्र के भिटौरा लखन का बताया जा रहा है। जहां पर चार दिन पूर्व दबंग वन माफिया ठेकेदार सुबराती द्वारा करीब आधा दर्जन प्रतिबंधित पेड़ों को चोरी चुपके काटा जा रहा था। तभी मुखबिर की सूचना पर विभाग द्वारा पकड़ कर जुर्माना वसूल किया गया था। शेष बचे पेड़ों को विभाग ने ठेकेदार सुबराती से परमिट बनवाने की बात कही थी। कर्मचारियों की बातों को नजरअंदाज करते हुए वन माफिया ने शेष बचे पडे प्रतिबंधित पेड़ों पर बीते दिन वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से काट कर दबंगई के बल पर चोरी चुपके उठा ले गए है।वहीं पर लोगों को मानना है जनपद बाराबंकी में काफी अरसे से तैनात कर्मचारी अधिकारी वसुंधरा को रेगिस्तान बनाने पर तुले हैं। यह सब वन विभाग की जानकारी में होता है। वन माफिया वन विभाग के कर्मचारियों मिलकर अक्सर होटलों पर बैठकर चाय पीते देखे जाते हैं। वहीं पर वन विभाग और ठेकेदार की मिलीभगत से जनपद में आए दिन प्रतिबंधित पेड़ों को नस्तनाबूत किया जा रहा है। जब वन विभाग के कर्मचारियों से पूछा जाता है तो पत्रकार को आनाकानी बताते हुए नजर आ रहे हैं। आखिरकर कब बाराबंकी प्रभागीय निदेशक द्वारा कितनी जल्दी संज्ञान में लेकर ज्यादा दिन से जमे पड़े वन कर्मचारीयों पर कब गाज गिरती हैं? यह तो देखने वाला सवाल है।