रामनगर, बाराबंकी। सिंचाई विभाग और बाढ़ खंड के अधिकारी मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को पलीता लगा रहे हैं। बाढ़ का कहर रोकने के लिए अरबों रुपए खर्च हो गए मुख्यमंत्री के द्वारा निर्धारित की गई अवधि जो 15 जून है वो भी अब बीतने वाली है। लेकिन अभी तक मात्र तीन चैथाई काम ही हो सका है। जो काम हुआ भी है वह बहुत ही घटिया और मानक के विपरीत कराया गया। शनिवार को सिंचाई विभाग की परियोजनाओं का स्थलीय निरीक्षण करने आए प्रदेश के जल शक्ति राज्यमंत्री रामकेश निषाद के सामने भी ग्रामीणों ने सवाल उठाए थे।उल्लेखनीय है कि सरयू नदी के द्वारा प्रतिवर्ष की जाए की जा रही तबाही को रोकने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी तरह से संवेदनशील हैं इसके लिए उन्होंने भारी-भरकम धनराशि खर्च कर सिंचाई विभाग और बाढ़ खंड को 15 जून से पहले सभी तैयारियों को पूर्ण कराए जाने के निर्देश दिए थे। रामनगर क्षेत्र में गांवों को कटान से बचाने के लिए पुरैना चलारी बांध से लेकर कुसौरा करमुल्लापुर अहाता आदि स्थानों पर बांध में पिचिंग कराई जा रही है इसमें बड़े पैमाने पर मानक के विपरीत काम करवा कर सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है तार से जाल बनाने के बजाय सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है ग्रामीणों ने मंत्री के सामने ही कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे।
इसके अलावा काम भी बहुत धीमी का से कराया जा रहा है लगता है शायद अधिकारी बाढ़ आने का इंतजार कर रहे हैं की बाढ़ का कहर शुरू हो जाए और आधा अधूरा कार्य करवा कर पूरा भुगतान करवा लिया जाए। यही हाल पिछले साल से रामनगर तहसील क्षेत्र के तपेसिपाह गांव में देखने को मिल रहा है कोरिन पुरवा गांव धीरे धीरे कटता रहा कई सैकड़ा बीघा कृषि योग्य जमीन कटकर नदी में समा गई लेकिन जब बाढ़ शुरू होती है तब पिचिंग और ठोकर के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं और बाढ़ खत्म होने के बाद सड़क शासन के द्वारा जो समय निर्धारित किया जाता है उसमें कोई काम नहीं कराया जाता है।
कुल मिलाकर वर्तमान समय में सिंचाई और बाढ़ खंड के जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा ठेकेदारों से सांठगांठ कर बड़े पैमाने पर सरकारी धन की लूट की जा रही है समय पर कार्य पूरा ना होने से जहां एक और सरकार की छवि खराब होगी वही अधिकारी बिना कार्य पूर्ण कराए ही भुगतान करा लेंगे। कुल मिलाकर अगर शासन में बैठे आला अफसर बाढ़ खंड और सिंचाई विभाग के द्वारा कराए जा रहे कार्यों की तकनीकी गुणवत्ता की जांच कराएं तो असलियत स्वयं सामने आ जाएगी।