अब जब राजस्थान विधानसभा के चुनाव में मात्र चार माह शेष रह गए हैं, तब विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी चाहते हैं कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 14 जुलाई को विधानसभा में प्रदेश के विधायकों को संबोधित करें। विधानसभा का वर्षाकालीन सत्र भी 14 जुलाई से शुरू हो रहा है। आमतौर पर राष्ट्रपति का संबोधन तभी होता है जब कोई संवैधानिक कार्यक्रम हो, जैसे विधानसभा के पचास वर्ष या फिर नए विधानसभा भवन का उद्घाटन हो या फिर किसी राष्ट्रीय सेमिनार के अवसर पर भी किसी विधानसभा में आकर राष्ट्रपति का संबोधन होता है। यानी कोई न कोई कारण होने पर ही किसी विधानसभा में संबोधन होता है। यह सही है कि डॉ. सीपी जोशी ने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में राजस्थान विधानसभा में अनेक संवैधानिक कार्यक्रम करवाएं हैं। सदन में विधायकों के अच्छे आचरण को लेकर भी डॉ. जोशी ने कार्यक्रम करवाएं हैं। सदन में भी अनुशासनहीनता के मुद्दे पर डॉ. जोशी का सख्त रुख रहता है। हालांकि डॉ. जोशी कांग्रेस पृष्ठ भूमि के हैं, लेकिन कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और विधायकों को डांटने में भी कोई कसर नहीं छोड़ते हैं? भले ही डॉ. जोशी मंत्रियों को फटकार लगाएं, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी भरोसा है कि डॉ. जोशी के रहते विधानसभा में सरकार पर कोई संकट नहीं आएगा। डॉ. जोशी विधानसभा के अध्यक्ष हैं, इसलिए गत वर्ष 25 सितंबर को कांग्रेस के 90 विधायकों ने मुख्यमंत्री गहलोत के समर्थन में सामूहिक इस्तीफा दे दिया। डॉ. जोशी ने इन इस्तीफों पर निर्णय तब लिया, जब हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। इन इस्तीफों से अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बने रहने में मदद मिली। डॉ. सीपी जोशी को संवैधानिक प्रक्रियाओं का जानकार माना जाता है। 14 जुलाई के प्रस्तावित संबोधन के लिए डॉ. जोशी ने दिल्ली में राष्ट्रपति से मुलाकात भी की है, लेकिन अभी राष्ट्रपति भवन से अधिकृत प्रोग्राम जारी नहीं हुआ है। राष्ट्रपति का संबोधन ऐसे समय में प्रस्तावित है, जब प्रदेश में चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक गतिविधियां जोरों पर हैं। 6 जुलाई को ही दिल्ली में कांग्रेस की बड़ी बैठक हो रही है। 7 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीकानेर आ रहे हैं। चुनाव के मद्देनजर आए दिन राष्ट्रीय नेताओं के दौरे हो रहे हैं। 6 जुलाई को दिल्ली में हो रही कांग्रेस की बैठक में खुद सीपी जोशी कांग्रेस नेता के तौर पर उपस्थित हैं।