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18/10/2024 1:59 pm

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भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में आ जाता है. चातुर्मास में श्रावण, भादौ, आश्विन और कार्तिक मास आते हैं. इस बार चातुर्मास पांच महीने का होगा. श्रावण, भादौ, आश्विन और कार्तिक मास के साथ अधिक मास भी जुड़ जाएगा.

एक राशि से दूसरी राशि में सूर्य के जानें की जो पूरी प्रक्रिया होती है उसे संक्रांति कहते हैं. सूर्य देव करीब करीब हर माह में राशि बदलते हैं. जिस माह में सूर्य अपनी राशि नहीं बदलते हैं उसे मलमास या फिर अधिक मास के तौर पर जाना जाता है.
पौराणिक कथा है कि जिस महीने में सूर्य नारायण अपनी राशि नहीं बदलते वह महीना मलिन हो जाता है जिससे इस माह का स्वामी बनने से सभी देवताओं ने अस्वीकार कर दिया. फिर क्या था भगवान विष्णु ने इस माह को अपनाया और उसके स्वामी बन गए. उन्होंने ये भी कहा था कि इस माह में भगवान शिव की जो भी भक्त पूरे मन से पूजा अर्चना करेगा उनके सभी पाप “नष्ट होंगे और पुण्यफल मिलेंगे.”
देर से आएंगे प्रमुख त्योहार:
बीते वर्ष रक्षा बंधन का त्योहार 11 अगस्त को मनाया गया था, लेकिन 2023 में यह पर्व 30 अगस्त को पड़ रहा है. यानी त्योहार की तिथि में पूरे 19 दिन का अंतर है. ऐसा अधिक मास की वजह हो रहा है. इतना ही नहीं, इस वर्ष जन्माष्टमी, गणेश उत्सव, पितृपक्ष, शारदीय नवरात्रि, दशहरा, धनतेरस, दीपावली और भाई दूज जैसे बड़े पर्व भी देरी से आएंगे.”मंगल कार्य मुंडन आदि न करें:
इस मास में किसी भी तरह के शुभ कार्य को नहीं किया जाता है. इस अवधि में किए गए कार्यों के मंगल परिणाम नहीं आते। इसलिए अधिक मास में कोई भी मुंडन और कर्णवेध या फिर अन्‍य कोई संस्‍कार नहीं करना चाहिए। इस महीने में कोई गृह प्रवेश भी नहीं करना चाहिए। इस अवधि में कोई भी संपत्ति का क्रय या फिर विक्रय नहीं करना चाहिए।
मलमास में पालनकर्ता भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है. अगर भक्तजन पूरे मन से भगवान विष्णु की आराधना करें तो उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
“श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा।” इस महामंत्र का जप अत्यंत पुण्यदायी है।

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Author: cnindia

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