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18/10/2024 2:08 pm

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अक्षयपुरीश्वर मंदिर के प्रमुख भोलेनाथ और देवी पार्वती हैं। इनके साथ ही मंदिर में शनिदेव की पूजा उनकी पत्नियों मंदा और ज्येष्ठा के साथ की जाती है

। इन्हें यहां आदी बृहत शनेश्वर कहा जाता है। कथा के अनुसार मंदिर के स्थान पर पहले बहुत सारे बिल्व वृक्ष थे। तमिल शब्द विलम का अर्थ बिल्व होता है और कुलम का अर्थ झुंड होता है। इसलिए इस स्थान का नाम विलमकुलम पड़ा।
तो ऐसे उलझ गया था शनिदेव का पैर मंदिर क्षेत्र में बहुत सारे बिल्व वृक्ष होने से उनकी जड़ों में शनिदेव का पैर उलझ गया और वह यहां गिर गए थे। इससे उनके पैर में चोट आ गई और वह पंगु हो गए। अपनी इस व्याधि को दूर करने के लिए उन्होंने इसी स्थान पर भगवान शिवजी की पूजा की। तभी भोलेनाथ ने प्रकट होकर उन्हें विवाह और पैर ठीक होने का आशीर्वाद दिया। मान्यता है तब से ही इन परेशानियों से जुड़े लोग यहां विशेष पूजा-अर्चना करवाते हैं।
मंदिर को लेकर यह है मान्यता तमिलनाडु के विलनकुलम में स्थापित अक्षयपुरीश्वर मंदिर तमिल वास्तुकला के अनुसार बना है। माना जाता है कि इसे चोल शासक पराक्र पंड्यान ने बनवाया था। जो 1335 ईस्वी से 1365 ईस्वी के बीच बना है। इस मंदिर के प्रमुख देवता भगवान शिव हैं। उन्हें ही श्री अक्षयपुरीश्वर कहा जाता है। उनके साथ उनकी शक्ति यानी माता पार्वती की पूजा श्रीअभिवृद्धि नायकी के रूप में की जाती है।

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Author: cnindia

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